Posted on 29 Aug, 2018 1:41 pm

 

प्रदेश में पिछले डेढ़ दशक में चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाओं में व्यापक विस्तार के फलस्वरूप शिशु मृत्यु दर, बाल मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर में अप्रत्याशित कमी आई है। शिशु मृत्यु दर 82 से घटकर 47, बाल मृत्यु दर 94.2 से घटकर 55, मातृ मृत्यु दर 379 से घटकर 221 हो गई है। इसी क्रम में सकल प्रजनन दर 3.8 से घटकर 2.3 प्रतिशत हो चुकी है। भावी पीढ़ी को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ, स्फूर्त और निरोगी रखने के लिये प्रदेश में सूर्य-नमस्कार आदि गतिविधियों के लिये भी प्रेरित किया जा रहा है।

प्रदेश में सिविल अस्पतालों की संख्या 64 से बढ़कर 73, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों की संख्या 229 से बढ़कर 334 और उप स्वास्थ्य केन्द्रों की संख्या 8,699 से बढ़कर 11 हजार 266 हो चुकी है। सभी जिला चिकित्सालयों में ट्रॉमा सेंटर की सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है। अभी तक 38 जिलों में ट्रामा सेंटर की सुविधा उपलब्ध करवा दी गई है। प्रदेश में 315 पोषण-पुनर्वास केन्द्र स्थापित कर करीब साढ़े 6 लाख गंभीर कुपोषित बच्चों का उपचार किया गया है। अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों को लौटना न पड़े, इसलिये बिस्तरों की संख्या भी 19 हजार 700 से बढ़ाकर 43 हजार 969 की गई है।

प्रदेश के सभी जिलों में उपलब्ध जननी एक्सप्रेस सुविधा में एकीकृत कॉल-सेंटर आधारित 735 वाहन संचालित हैं। संस्थागत प्रसव 22 प्रतिशत से बढ़कर 86 प्रतिशत हो चुका है। प्रदेश के 43 आदिवासी बहुल और पिछड़े जिलों के 144 विकासखण्डों में दीनदयाल चलित योजना लागू है। सभी जिलों में 108 एम्बुलेंस सुविधा उपलब्ध है। जिला अस्पतालों में किडनी के मरीजों के लिये डायलिसिस और कैंसर मरीजों के लिये कीमोथैरेपी सुविधा वर्ष 2016 से उपलब्ध है। सभी शासकीय अस्पतालों में नि:शुल्क औषधि और जाँच सुविधा उपलब्ध है। विशेष पिछड़ी जनजातियाँ सहरिया, बैगा एवं भारिया के परिवारों के पोषण स्तर में सुधार के लिये उन्हें हर माह 1000 रुपये की दर से विशेष सहायता की योजना भी लागू की गई है।

मुख्यमंत्री बाल ह्रदय उपचार योजना, मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना जैसी संवेदनशील योजनाओं से बच्चों की गंभीर और अति गंभीर बीमारियों का नि:शुल्क इलाज किया जा रहा है। राज्य बीमारी सहायता निधि में शामिल बीमारियों की संख्या बढ़ाकर 21 और अधिकतम पैकेज 2 लाख रुपये किया गया है। अब तक 66 हजार 808 प्रकरणों में 612 करोड़ रुपये की सहायता दी गई है। लोगों को आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी आदि चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने के लिये भी 217 एकीकृत प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र-सह-आयुर्वेद औषधालय में आयुष चिकित्सकों की नियुक्ति की गई है।

प्रदेश में चालू शैक्षणिक सत्र से रतलाम, विदिशा, शिवपुरी, छिन्दवाड़ा, शहडोल, खण्डवा और दतिया में मेडिकल कॉलेज स्थापित किये जा रहे हैं। इंदौर के मेडिकल कॉलेज में बोनमेरो ट्रांसप्लांट की सुविधा शुरू की गई है। जबलपुर में कैंसर रोगियों के लिये राज्य कैंसर संस्थान का निर्माण जारी है। ग्वालियर एवं विदिशा में टर्शयरि कैंसर केयर सेंटर स्थापित किये जा रहे हैं। ग्वालियर, जबलपुर और रीवा मेडिकल कॉलेज में सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक निर्माण का काम भी पूर्णता की ओर अग्रसर है।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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