पर्यटन मंत्रालय ने पिछले 18 महीनों में, पर्यटन मंत्रालय की प्रमुख योजनाओं- स्वदेश दर्शन और प्रसाद के तहत 2333 करोड़ रुपए की परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इन परियोजनाओं में पर्यटक सुविधा केंद्रों, सड़क के किनारे सुविधाएं, पार्किंग, सार्वजनिक सुविधाओं का निर्माण, रोशनी व्यवस्था, ध्वनि और प्रकाश शो और थीम पार्कों सहित पर्यटक सुविधाओं पर विशेष ध्यान देते हुए पर्यटक स्थलों के विश्व स्तरीय ढांचागत विकास की परिकल्पना की गई है।
राष्ट्रीय संचालन समिति (एनएससी, इन योजनाओं का संचालन के लिए शीर्ष समिति) की संस्कृति एवं पर्यटन (स्वतंत्र प्रभार) राज्यमंत्री डॉ. महेश शर्मा की अध्यक्षता में कल एक बैठक आयोजित की गई। जिसमें स्वदेश दर्शन और प्रसाद योजनाओं के मिशन निदेशकों द्वारा स्थिति की जानकारी दी गई। डॉ. शर्मा ने उचित समन्वय और देश में बुनियादी ढांचे के उचित विकास के लिए केन्द्रीय मंत्रालयों के साथ योजनाओं के कन्वर्जेंस की जरूरत पर जोर दिया।
इस अवसर पर केंद्रीय पर्यटन सचिव श्री विनोद जुत्शी ने विभिन्न सर्किटों के तहत पहचान किए गए स्थलों के साथ उचित रेल, सड़क और वायुयान संपर्क की जरूरत पर बल दिया।
अमरावती, कामाख्या मंदिर, पटना साहिब, पटना, विष्णुपद गया, श्री जगन्नाथ पुरी, अमृतसर, अजमेर-पुष्कर, वाराणसी, मथुरा-वृंदावन, केदारनाथ धाम उत्तराखंड में 11 परियोजनाओं के लिए अभी तक प्रसाद योजना के तहत 284.53 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई है। इन परियोजनाओं में वाराणसी नदी क्रूज और द्वारका के लिए 36.96 करोड़ रुपए लागत की दो परियोजनाएं भी शामिल हैं। इसके अलावा वाराणसी के घाटों पर लेजर शो और कांचीपुरम तथा वेल्लनकन्नी की परियोजनाएं मंत्रालय के विचाराधीन हैं।.
बौद्ध सर्किट, पारिस्थितिकी पर्यटन सर्किट, वन्य जीवन, हिमालय, आध्यात्मिक, पूर्वोत्तर भारत, आदिवासी, कृष्ण, ग्रामीण, तटीय, विरासत, रेगिस्तान, रामायण सर्किटों की पहचान की गई है ताकि ऐसे स्थानों को देखने में विशेष दिलचस्पी रखने वाले देसी और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके। स्वदेश दर्शन पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार की एक मिशन मोड परियोजना है। जनवरी 2015 से आज की तारीख तक 25 परियोजनाओं के लिए 2048 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं। इन परियोजनाओं में उत्तराखंड, तेलंगाना और केरल राज्यों में पारिस्थितिकी पर्यटन सर्किट, नगालैंड, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, में जनजातीय सर्किट, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पुड्डुचेरी, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, गोवा में तटीय सर्किट, बिहार और मध्य प्रदेश में बौद्ध सर्किट, जम्मू-कश्मीर में हिमालय सर्किट, राजस्थान में रेगिस्तान सर्किट, मध्य प्रदेश और असम में वन्य जीवन सर्किट, अरुणाचल, सिक्किम, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, त्रिपुरा में पूर्वोत्तर भारत सर्किट स्वदेश दर्शन के तहत शामिल हैं।
पांच पैन इंडिया मेगा सर्किटों की भी पहचान की गई है, जिनके नाम रामायण-कृष्ण बौद्ध मेगा सर्किट, हिमालय एवं साहसिक, विश्व धरोहर, तटीय और वन्य जीवन सर्किट की स्वदेश दर्शन के तहत विकास के लिए पहचान की गई है ताकि भारत का बौद्ध भूमि तथा आध्यात्मिक और धार्मिक पर्यटन के गंतव्य के रूप में उचित प्रदर्शन किया जा सके।
Courtesy – Press Information Bureau, Government of India
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