Posted on 01 Oct, 2018 2:37 pm

 

प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएँ स्व-सहायता समूह बनाकर आर्थिक रूप से आत्म-निर्भर बन रही हैं। स्व-सहायता समूह से महिलाओं में आत्म-विश्वास भी बढ़ा है। स्व-सहायता समूह बनाने में आजीविका मिशन मुख्य भूमिका निभा रहा है।

मंदसौर जिले में 10 महिलाओं ने शारदा स्व-सहायता समूह बनाया है। इन महिलाओं को शुरूआती तौर पर नाबार्ड के जरिये 2 लाख रुपये सहायता राशि दी गई। समूह से जुड़ी प्रत्येक महिला ने अपने हुनर और शौक से छोटे व्यवसाय की शुरूआत की। कुछ महिलाओं ने सिलाई मशीन खरीदी, कुछ ने पशुपालन के माध्यम से दूध का व्यापार शुरू किया, कुछ महिलाओं ने कपड़े की दुकान की शुरूआत की। समूह की सभी महिलाएँ व्यापार तो अलग-अलग करती हैं, लेकिन समूह को मजबूत करने के लिये अपना योगदान भी देती हैं। ग्रामीण आजीविका मिशन में बने समूह की महिलाओं को प्रशिक्षण देने की भी शुरूआत कर दी गई है। समूह से जुड़ी सभी महिलाओं की मासिक आय औसत रूप से 40 हजार रुपये तक हो गई है। अब ये महिलाएँ अपने बच्चों की परवरिश बहुत अच्छी तरह से कर रही हैं।

धार जिले के ग्राम निमोला में मध्यप्रदेश राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से माँ नर्मदा आजीविका स्व-सहायता समूह का गठन किया गया है। इस समूह से जुड़ी महिलाएँ अलग-अलग व्यवसाय कर रही हैं। समूह से जुड़ी ग्रामीण महिला रेवा किराना व्यापार के लिये एक लाख रुपये ऋण लेकर आज अपनी दुकान सफलतापूर्वक चला रही है। अब परिवार में सभी निर्णयों में उनकी राय भी ली जा रही है। समूह से जुड़ी एक महिला ने आटा-चक्की शुरू की है और एक ने अपनी अंश-पूँजी भी लगाकर लोडिंग वाहन खरीदा है। समूह से जुड़ी सभी महिलाएँ किसी न किसी व्यावसायिक गतिविधि से जुड़ गई हैं। उन्हें प्रति माह अच्छी-खासी आमदनी हो रही है। समूह से जुड़ी महिलाएँ क्षेत्र की अन्य महिलाओं को प्रोत्साहित भी कर रही हैं। सामाजिक गतिविधियों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश​

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