Posted on 31 Jul, 2018 7:33 pm

 

प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी 1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह के अन्तर्गत राज्य स्तर से आँगनवाड़ी स्तर तक विभिन्न गतिविधियाँ संचालित की जायेंगी। इस वर्ष की थीम 'स्तनपान जीवन का आधार' है। सप्ताह के अन्तर्गत बेहतर पोषण, खाद्य सुरक्षा और बच्चों के संर्वागीण विकास और अच्छे स्वास्थ्य में जन्म के एक घण्टे के अन्दर स्तनपान और जन्म से लेकर 6 माह तक केवल स्तनपान कराने के महत्व से जनसमुदाय को अवगत कराने के उद्देश्य से विभिन्न गतिविधियाँ संचालित की जायेंगी। इस संबंध में महिला बाल विकास विभाग तथा लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा संयुक्त रूप से निर्देश जारी किये गये हैं।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में प्रति वर्ष जन्म लेने वाले 14 लाख बच्चों में से केवल 4.80 लाख बच्चों को जन्म के तुरंत बाद जीवन रक्षक खीस (कोल्स्ट्रम) मिलता है, अर्थात 9.20 लाख बच्चे इससे वंचित रह जाते हैं। मात्र 8.20 लाख बच्चों को छ: माह तक केवल माँ का दूध दिया जाता है, अर्थात 5.80 लाख बच्चे इससे वंचित रहते हैं। जन्म से 24 घण्टे के बाद स्तनपान शुरू कराने से मौत का खतरा 2.4 गुना बढ़ जाता है। स्तनपान और ऊपरी आहर से शिशु मृत्यु दर में 19 प्रतिशत की कमी लाई जा सकती है।

इस परिपेक्ष्य में बच्चों के स्वास्थ्य के लिये स्तनपान की महत्ता के प्रति उन्मुखीकरण के लिये संभाग, जिला, परियोजना तथा आँगनवाड़ी स्तर पर गतिविधियाँ संचालित की जायेंगी। इनमें स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, खेल एवं युवा कल्याण विभाग, स्वच्छ भारत मिशन, कृषि विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अन्तर्गत संचालित स्व-सहायता समूहों तथा एनसीसी का सहयोग भी लिया जा रहा है। कॉलेज स्टूडेंट जिलों के मेटरनिटी होम्स में भ्रमण कर महिलाओं को आवश्यक सलाह देंगे। आँगनवाडी स्तर पर अंतिम त्रैमास की गर्भवती महिलाओं के घर-घर जाकर जन्म के एक घण्टे के अन्दर स्तनपान की समझाईश और परिवारजन को शपथ दिलाने और शंका समाधान जैसी गतिविधियाँ संचालित की जायेंगी। वातावरण निर्माण के लिये रैली, नुक्कड़ नाटक, सेमीनार,क्विज, स्लोगन लेखन जैसी गतिविधियाँ भी संचालित की जायेंगी।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश