Posted on 03 Jun, 2016 7:36 pm

मध्यप्रदेश में 'स्कूल चलें हम'' अभियान का दूसरा चरण शुरू हो चुका है। दूसरे चरण का मुख्य उद्देश्य स्कूलों में बच्चों का नामांकन एवं उपस्थिति सुनिश्चित करना है। अभियान 31 जुलाई तक चलेगा, जिसमें विभिन्न गतिविधि संचालित होंगी। शालाओं में प्रवेशोत्सव 16 जून को होगा। राज्य शासन ने दूसरे चरण की गतिविधियों के सफल संचालन के लिये सभी जिला कलेक्टर, जिला पंचायत के सीईओ, नगर निगमों के आयुक्त और नगर पालिका एवं नगर परिषद के सीएमओ को निर्देश जारी कर दिये हैं।

बच्चों के शत-प्रतिशत नामांकन के लिये जिला-स्तर पर विकासखण्ड समन्वयकों और जन-शिक्षा केन्द्र प्रभारियों को 16 जून के पहले प्रशिक्षित किया जायेगा। प्रशिक्षण में इस बात पर जोर दिया जायेगा कि कोई भी बच्चा शाला में प्रवेश से न छूटे। प्रशिक्षण में संकुल प्राचार्य भी उपस्थित रहेंगे। शिक्षकों द्वारा शालाओं एवं बच्चों के पालकों से सम्पर्क करने की समय-सीमा 11 से 16 जून निर्धारित की गयी है। शिक्षक उन्हें प्रवेशोत्सव की जानकारी भी देंगे। बच्चों एवं पालकों से सम्पर्क के लिये 15 जून के पहले आँगनवाड़ी केन्द्रों पर शिक्षक पहुँचेंगे।

अभियान में सहभागिता और आमजन से जुड़ाव की दृष्टि से वातावरण निर्माण के लिये शाला प्रबंध समिति की बैठक 15 जून से पहले होगी। ऐसी शालाएँ, जहाँ विगत 2 वर्ष में नामांकन में गिरावट आयी है, वहाँ की बसाहटों में विशेष ध्यान दिया जायेगा। यह कार्य 30 जून तक किया जायेगा। नामांकन में प्रेरकों (मोटिवेटर) की भूमिका को देखते हुए उनका पंजीयन 5 से 12 जून के बीच करवाया जायेगा। समग्र शिक्षा पोर्टल पर 16 जून से प्रवेश की प्रविष्टि करवायी जायेगी।

प्रवेशोत्सव के दौरान लगातार 7 दिन तक उत्सवी वातावरण में खेल एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि होंगे। प्रवेशोत्सव में बच्चों, पालकों, जन-प्रतिनिधियों, गणमान्य नागरिकों और पूर्व छात्रों को आमंत्रित किया जायेगा। ऐसे प्रयास होंगे कि एक जुलाई तक सभी बच्चों के नाम शाला में दर्ज हो जायें। एक जुलाई को होने वाली ग्रामसभा में बच्चों के दर्ज होने की जानकारी भी दी जायेगी। पलायन करने वाले बच्चों की सूची जिला परियोजना समन्वयक को 15 जुलाई तक उपलब्ध करवायी जायेगी। अप्रवेशी एवं शाला त्यागी बच्चों को आवासीय छात्रावास में प्रवेश दिलवाने की कार्यवाही होगी। बालिकाओं को कस्तूरबा गांधी विद्यालय एवं बालिका छात्रावास में प्रवेश दिलवाया जायेगा। विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की समावेशित शिक्षा के लिये कक्षा एक से आठ तक शाला में उनका ठहराव एवं उपस्थिति सुनिश्चित की जायेगी।

गुणवत्तायुक्त शिक्षा के लिये विशेष कक्षाएँ लगेंगी। शाला-स्तर से विकासखण्ड-स्तर एवं जिला-स्तर पर अकादमिक गुणवत्ता कार्य-योजना तैयार होगी। दूसरे चरण में माध्यमिक शिक्षा के लिये शत-प्रतिशत नामांकन एवं दक्षता सुधार की कार्यवाही की जायेगी। शिक्षकों को माध्यमिक शालाओं का उत्तरदायित्व दिया जायेगा। विगत वर्षों में आठवीं उत्तीर्ण होने के बाद नवमीं कक्षा में दर्ज न होने वाले बच्चों को शाला से पुन: जोड़ने की कार्यवाही होगी। इसी तरह प्रवेशोत्सव में बारहवीं कक्षा तक विद्यार्थियों का प्रवेश सुनिश्चित किया जायेगा। कक्षा नौ में प्रवेशित बच्चों को 16 जून से 30 जून तक किताबों के स्थान पर गतिविधि आधारित ब्रिज मॉड्यूल से पढ़ाया जायेगा। ब्रिज कोर्स के बाद एक अगस्त को उनका पोस्ट टेस्ट होगा। जुलाई माह में नामांकन से शेष रहे गये बच्चों की पहचान कर उनको प्रवेश दिलवाया जायेगा। जो बच्चे दर्ज हो गये हैं, उनकी मेपिंग की जायेगी।

बालिकाओं की शिक्षा की दृष्टि से पिछड़े विकासखण्डों में विशेष शिविर लगाये जायेंगे। यह कार्यवाही जुलाई और अगस्त माह में होगी। बालिका छात्रावासों में निर्धारित सीट की पूर्ति सुनिश्चित की जायेगी। छात्रावासों में पुस्तकालय के लिये स्थान सुनिश्चित कर बालिकाओं को उसके उपयोग के लिये प्रेरित किया जायेगा। साथ ही उनके स्वास्थ्य का परीक्षण अनिवार्य रूप से होगा। जिन छात्रावास के नये भवन बन चुके हैं, उनमें बालिकाओं के आवास की व्यवस्था 10 जून तक करवाने के निर्देश दिये गये हैं। विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को दिये जाने वाले सुविधा भत्ते की जानकारी स्कूलों को दी जायेगी। शासन ने अभियान की व्यापक मॉनीटरिंग के निर्देश भी दिये हैं। जून एवं जुलाई में जिला कलेक्टर स्तर से साप्ताहिक समीक्षा द्वारा कमियों एवं समस्याओं को दूर कर लक्ष्य की पूर्ति सुनिश्चित की जायेगी। प्रधानाध्यापक और प्राचार्यों का दायित्व होगा कि ग्राम शिक्षा पंजी में दर्ज सभी बच्चे कक्षा एक, छह एवं नौ में प्रवेश लें तथा कोई भी बच्चा शाला से बाहर न रहे अथवा शाला न छोड़े।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश 

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