Posted on 14 Jul, 2016 7:39 pm

पूरे प्रदेश में चिन्हित स्थानों पर बनेंगे "आँचल कक्ष (स्तनपान कक्ष)'' 
आँगनवाड़ी सहायिका और कार्यकर्ता का होगा प्रशिक्षण 
महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनीस द्वारा राज्य-स्तरीय समीक्षा 

भोपाल : गुरूवार, जुलाई 14, 2016, 18:18 IST
 

महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनीस ने कहा है कि कुपोषण मुक्त मध्यप्रदेश बनाने के लिये आँगनवाड़ी केन्द्रों की सेवाओं की पहुँच को सुदृढ़, बेहतर और हर जरूरतमंद तक पहुँचाया जायेगा। श्रीमती चिटनीस प्रशासन अकादमी में राज्य-स्तरीय विभागीय समीक्षा बैठक को संबोधित कर रही थीं। महिला-बाल विकास मंत्री ने कहा कि आँगनवाड़ी में आदर्श उपस्थिति से ही हम आदर्श आँगनवाड़ी स्थापित कर सकते हैं। उन्होंने आँगनवाड़ी चलो अभियान के तहत सूची तैयार कर बच्चों की उपस्थिति तय करने को कहा। श्रीमती चिटनीस ने निर्देश दिये कि आँगनवाड़ी खुलने और बंद होने पर घंटी बजाना अनिवार्य होगा। कार्यकर्ता/सहायिका आँगनवाड़ी केन्द्र का समय समाप्त होने के बाद उन कुपोषित बच्चों के घर जायें, जो आँगनवाड़ी केन्द्रों तक आने में असमर्थ हैं।

सहायिका/कार्यकर्ता को प्रशिक्षण

बैठक में निर्णय लिया गया कि आँगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका को प्रशिक्षित किया जायेगा। हर तीन महीने में उनकी पृथक और संयुक्त रूप से कार्यशाला की जायेगी। श्रीमती चिटनीस ने निर्देश दिये कि सहायिका और कार्यकर्ता के रिपोर्टिंग प्रपत्र को सभी आवश्यक बिन्दु को समाहित कर सरल भाषा में बनायें। इसके अतिरिक्त गरीब वर्ग की जरूरतमंद महिलाओं को भी आँगनवाड़ी कार्यकर्ता/सहायिका के रूप में जोड़ें, जिससे उनको रोजगार भी उपलब्ध हो सके।

'आँचल कक्ष''

महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनीस ने कहा कि प्रदेश में जहाँ-जहाँ आवश्यकता है, सघन बाजारों में, बस-स्टेण्ड, रेलवे प्लेटफार्म, कोर्ट परिसर, कलेक्टरेट को चिन्हित कर 'आँचल कक्ष'' (स्तनपान कक्ष) स्थापित करें। उन्होंने निर्देश दिये कि पूरे प्रदेश के 'आँचल कक्ष'' एकरूपता लिये होंगे। गुलाबी रंग के फ्रेम में बड़े अक्षरों में 'आँचल कक्ष'' लिखा जायेगा, जिसे दूर से ही देखा जा सकेगा। कक्ष के अंदर बाल विकास की विभिन्न योजनाओं के आकर्षक चित्र एवं पोस्टर्स लगाया जाना अनिवार्य होगा।

प्लास्टिक के बदले करें कागज का उपयोग

उदिता योजना की समीक्षा करते हुए महिला-बाल विकास मंत्री ने कहा कि आँगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका और आशाकर्मी पूरे गाँव में घर-घर जाकर इसका प्रचार करें और महिलाओं एवं बालिकाओं को स्वच्छता और स्वस्थ रहने के लिये कम खर्च में सेनेटरी नेपकिन इस्तेमाल करने के लिये तैयार करें। उपयोग किये गये नेपकिन को प्लास्टिक के बदले रद्दी कागज में लपेट कर फेंके, जिससे पर्यावरण को नुकसान न हो। इसके लिये पंचायतों और जनपदों से मिलकर स्वच्छता अभियान के तहत इसका निपटारा सुनिश्चित करें।

पंचवटी से पोषण

मंत्री श्रीमती चिटनीस ने कहा कि कुपोषण को दूर करने के लिये परम्परागत तरीकों को अपनाना आवश्यक है। कुपोषण को दूर करने के लिये इतर तरीके अपनाना और इसके कारणों को चिन्हित करना होगा। 'पंचवटी से पोषण'' अभियान के तहत सुरजने, कबीट, बेल, जामुन, करौंदा, आँवला, कटहल आदि पौधों को लगाया जायेगा। कुपोषित बच्चों के परिवारों को चिन्हित कर सुरजने के बीज वितरित किये जायेंगे।

इस अवसर पर महिला-बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती ललिता यादव, प्रमुख सचिव श्री जे.एन. कंसोटिया और आयुक्त एकीकृत बाल विकास श्रीमती पुष्पलता सिंह उपस्थित थे।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश 

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