नौवहन मंत्रालय ने आज यहां अपने सागरमाला कार्यक्रम के तहत बहुविध (मल्टी-मोडल) मॉडल पर एक कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में वास्तविक और प्रस्तावित एक्सिम यातायात प्रवाह पर आधारित लॉजिस्टिक आवागमन की प्रमुख बाध्यताओं पर चर्चा की। कार्यशाला में नीति आयोग, भारतीय रेल और कानकोर के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
कार्यशाला में हिस्सा लेने वालों को देश में बेहतर लॉजिस्टिक योजना के लिए एक राष्ट्रीय सामान आवागमन मॉडल की आवश्यकताओं से परिचित कराया गया।
कार्यक्रम के तहत लॉजिस्टिक खर्च को कम करने के लिए मुख्य बिंदुओं एवं अवसरों के बारे में चर्चा की गई। बहुविध मॉडल को लॉजिस्टिक की बाध्यताओं को दूर करने के लिए विकसित किया गया है। इस मॉडल के तहत सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में सुविधा होगी। इसके तहत सड़क और रेल मार्गों, बंदरगाहों एवं सामान की लदाई-उतराई केंद्रों को चिन्हित करके अड़चनों को दूर किया जाएगा।
कार्यशाला के सभी प्रतिभागी इस बात पर सहमत थे कि सागरमाला कार्यक्रम के तहत इस मॉडल से सामान के आवागमन में सहायता होगी और लॉजिस्टिक खर्चों में कमी आयेगी।
सागरमाला कार्यक्रम का एक प्रमुख उद्देश्य यह है कि सामान के यातायात के खर्चों को कम किया जाए। अनुमान किया गया है कि सड़क या रेल द्वारा माल लाने–ले-जाने की अपेक्षाकृत समुद्र या अन्य जल मार्गों के जरिये सामान लाने-ले-जाने में प्रति टन खर्च में 60 से 80 प्रतिशत की कमी आ सकती है। भारत में कई उत्पादन और मांग केंद्र समुद्र और नदी किनारे स्थित हैं। इसके बावजूद जलमार्ग के जरिये सामान का आवागमन कम होता है।
Courtesy – Press Information Bureau, Government of India
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