Posted on 22 Sep, 2016 4:49 pm

 

भोपाल : गुरूवार, सितम्बर 22, 2016, 16:17 IST

 

राज्य सहकारी बैंकों की वित्तीय सुदृढ़ता को लेकर शासन ठोस कदम उठाने की ओर अग्रसर है। सहकारी साख समितियाँ में पात्र कृषकों की संख्या लगभग 69 लाख हो गई है। इनमें से 23 लाख किसानों के मोबाइल नम्बर भी हैं। बैंक की अंशपूँजी 471 करोड़ से बढ़कर 515 करोड़ 81 लाख हो गई है। यह जानकारी मध्यप्रदेश राज्य सहकारी बैंक के प्रशासक श्री मनीष श्रीवास्तव ने बैंक के वार्षिक सम्मेलन में दी। इस मौके पर बैंक के प्रबंध संचालक श्री प्रदीप नीखरा भी उपस्थित थे।

प्रशासक श्री मनीष श्रीवास्तव ने कहा कि सहकारी बैंकों को सुदृढ़ बनाने के लिये सरकार सुनियोजित नीति बना रही है। नीति के तहत पैक्स से लेकर शीर्ष सहकारी संस्थाओं के मौजूदा स्वरूप में व्यापक परिवर्तन किया जायेगा। उन्होंने बताया कि हाल ही में सहकारिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री विश्वास सारंग के नेतृत्व में इस दिशा में कार्य-योजना बनाने के लिये दो दिवसीय मंथन कार्यक्रम हुआ। मंथन में सहकारिता से जुड़े महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर गहन विचार-विमर्श के बाद एक रिपोर्ट तैयार कर ली गई है जिसका समय-सीमा में क्रियान्वयन किया जायेगा।

प्रशासक श्री श्रीवास्तव ने बताया कि शीर्ष बैंक स्तर पर किये गये योजनाबद्ध प्रयासों से बैंक के स्वयं के स्त्रोतों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2014-15 में बैंक की अंशपूँजी 471.75 करोड़ थी, जो वर्ष 2015-16 में बढ़कर 515.81 करोड़ हो गई। यह वृद्धि 9.34 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि बैंक की रक्षित निधि भी 589.47 करोड़ से बढ़कर 980.93 करोड़ हो गई है। यह वृद्धि 66.41 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि बैंक के सीआरएआर में भी 11.52 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

कृषि को लाभ का व्यवसाय बनाने के लिये किसानों को शून्य प्रतिशत पर ऋण उपलब्ध करवाया गया है। प्राकृतिक आपदा में मुख्यमंत्री के निर्देश पर खरीफ फसल के लिये दिये गये अल्पकालीन ऋण 5000 करोड़ को मध्यकालीन ऋणों में परिवर्तित किया जिससे 10 लाख 43 हजार किसान लाभान्वित हुए। उन्होंने बताया कि इसके लिये राज्य शासन ने बैंक को 3000 करोड़ की गारंटी दी। बैंक की स्थापना के बाद किसी एक वर्ष में ऋण परिवर्तन की यह सर्वाधिक राशि है। इसी प्रकार वर्ष 2015-16 में अल्पकालीन फसल ऋण पर ब्याज अनुदान की 359 करोड़ 68 लाख की राशि जिला बैंकों को दी गई। यह भी किसी एक वर्ष में शासन से प्राप्त होने वाली सर्वाधिक राशि है।

प्रशासक श्री श्रीवास्तव ने बताया कि बैंकों के प्रशासनिक सुधार की दिशा में विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। व्यवस्था को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिये नई पदोन्नति नीति तैयार की गई है। सूचना तकनीक से जोड़ने के लिये इन्फर्मेशन पॉलिसी बनाई गई है और अपेक्स बैंक की पहचान बनाने के लिये ब्राँडिंग मेन्युअल लागू किया गया है। श्री श्रीवास्तव ने बताया कि प्राथमिक सहकारी समितियों द्वारा वर्ष 2015-16 में 2945 खरीदी केन्द्रों के जरिये 12 लाख किसानों से 22 लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूँ, धान और मक्का की खरीदी की गई।

बैठक में सदस्यों ने सहकारी साख आन्दोलन को मजबूत करने के लिये कई सुझाव दिये।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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