Posted on 24 Dec, 2016 4:01 pm

भोपाल : शनिवार, दिसम्बर 24, 2016, 15:48 IST
 

सहकारिता राज्य मंत्री ( स्वतंत्र प्रभार) श्री विश्वास सारंग ने सहकारी बैंकों में कैशलेस व्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए सहकारी बैंकों में बैंकर्स चेक, डी.डी., आर.टी.जी.एस. और एन.ई.एफ.टी. पर लगने वाले शुल्क को समाप्त करने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि कैशलेस व्यवस्था सहकारी बैंकों के लिए एक बड़ी चुनौती है लेकिन मुश्किल नहीं है। हमारे साथ किसान और ग्रामीण भाई इसके लिए तैयार हैं। श्री सारंग सहकारी बैंकों एवं प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्थाओं में कैशलेस व्यवस्था पर एक दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ कर रहे थे।

राज्य मंत्री श्री सारंग ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विमुद्रीकरण के निर्णय के बाद देश ने कई मोर्चे पर बेहतर परिणाम हासिल किये है। काले धन पर रोक लगी है, आतंकवाद, नक्सलवाद रूका है और सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि दस साल का विकास एक साल में होने के मुहाने पर है। उन्होंने कहा कि कुछ दिक्कतें एक बड़े परिवर्तन के बाद आती हैं। वे आसान हों, उनका निदान हो, इस दिशा में भी हमें आगे बढ़ना होगा। उन्होंने कहा कि सहकारी बैंकों, सोसायटी से प्रदेश की एक बड़ी आबादी जुड़ी है। इसलिए हमारे सामने कैशलेस व्यवस्था को लागू करने की चुनौती है। इसके लिए अगर हमने लोगों की मानसिकता और सोच बदल दी तो हमारे लिए कैशलेस व्यवस्था स्थापित करना आसान होगा। हम जिन लोगों के बीच यह काम कर रहे है वह किसान हो या ग्रामीण वह इसके लिये पूरी तरह तैयार हैं। उन्होंने कहा कि कैशलेस प्रणाली की परंपरा हमारे यहाँ मोहन जोदड़ों, चाणक्य, मुगल और अंग्रेज राज के समय से हो रही है। हमें आज सिर्फ लोगों तक इस व्यवस्था को नए परिवर्तन और नए संदर्भ में ले जाना है।

प्रमुख सचिव सहकारिता श्री अजीत केसरी ने कहा कि सहकारी बैक कैशलेस व्यवस्था का जब मैदानी स्तर पर क्रियान्वयन करें, तो इस पूरी तकनीक की समझ के साथ लोगों के संभावित प्रश्नों का उत्तर भी तैयार रखें ताकि लोगों को आसानी से समझा सकें।

आयुक्त सहकारिता श्री कवीन्द्र कियावत ने कार्यशाला के उददेश्य और रूपरेखा के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि प्रदेश की 70 प्रतिशत आबादी तक सहकारी बैंकों की पहुँच है। कैशलेस व्यवस्था को अपनायेंगे तो हमें सकारात्मक परिवर्तन मिलेंगे।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के महाप्रबंधक श्री एच.के. सोनी ने कहा कि सहकारी बैंक सबसे पहले उन व्यवहारों की पहचान करे, जो कैशलेस और कैश के जरिये किये जा रहे हैं। इसके बाद कैश वाले व्यवहारों को कैशलेस में बदलने की रणनीति बनायें और कामकाज में पारदर्शिता रखें।

नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक श्री के.आर. राव ने कहा कि विमुद्रीकरण का निर्णय अर्थ-व्यवस्था को एक नई दिशा देने का प्रयास है। इस व्यवस्था को कैशलेस में परिवर्तित करने की चुनौती हमारे सामने है। इसके लिये हमें अपनी क्षमता और कौशल में वृद्धि करनी होगी।

कार्यक्रम में अपेक्स बैंक के प्रबंध संचालक श्री प्रदीप नीखरा, सेंट्रल बैंक के उप महाप्रबंधक और जिला सहकारी बैंक के मुख्य कार्यपालन अधिकारी उपस्थित थे।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश