Posted on 06 Sep, 2018 5:18 pm

 

युवाओं ने सरकारी योजनाओं की मदद से स्व-रोजगार स्थापित कर जिन्दगी को नई दिशा दी है। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना ने टीकमगढ़ के युवा उद्यमी दम्पत्ति श्रीमती मनीषा खरे एवं उनके पति मनीष खरे को सम्मानजनक व्यवसाय का मालिक बनाया, जिससे वे अब आत्म-सम्मान के साथ अपना व्यवसाय कर रहे हैं। इन्हें प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना में 22 लाख रुपये का ऋण मिला है। इससे उन्होंने टीकमगढ़ शहर से सटे हुए ग्राम खुशीपुरा में सभी प्रकार की सॉस बनाने की यूनिट स्थापित की है। उनकी फैक्ट्री द्वारा बनाया गया उत्पाद पूरे प्रदेश में भेजा जा रहा है। योजना में उन्हें 35 प्रतिशत राशि का अनुदान भी मिला है। वे अपनी फैक्ट्री में 21 अन्य लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं।

दमोह जिले के ग्राम हिनौती के मदन कक्षा 5वीं तक ही पढ़ाई कर पाये, आगे की पढ़ाई किन्हीं कारणों से नहीं कर पाये। इन्होंने खाना टिफिन सप्लाई को अपना रोजगार बनाया। शुरूआत 20 खाना टिफिन से की। मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना से जब 50 हजार रुपये की मदद मिली, तब इन्होंने अपने रोजगार को बढ़ाया। मदन रैकवार बताते हैं कि इस राशि से खाना टिफिन, गंजे, कुकर, कड़ाही, भट्टी, प्लेट, किराना आदि सामान खरीदकर खाना टिफिन की सप्लाई बढ़ाई है। अब 50 खाना टिफिन सप्लाई करते हैं। दो महिलाओं को रोजगार भी दे रखा है।

शिवाजी नगर पिपरोदा रोड़ गुना निवासी रामकुमार रघुवंशी से गरीबी के दिनों में सगे, सम्पन्न रिश्तेदार सहयोग से मुँह मोड़ चुके थे। तब मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना न केवल उसके जीवन का सहारा बनी, बल्कि बूढ़ी माँ की सेवा करने में सक्षम भी बना दिया। कभी दूसरे की साड़ी की दुकान में काम करने वाले रामकुमार की आज स्वयं की श्रीराम मेचिंग सेन्टर के नाम से दुकान है। पहले 7 हजार रुपये महीने में दूसरे के यहाँ नौकरी करते थे। आज लगभग 25 हजार रुपये महीना कमा रहे हैं। अपने व्यवसाय में सहयोग के लिऐ दो सेल्समेन भी रखे हैं। यह सब मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना में मिले 2 लाख 50 हजार रुपये के ऋण और व्यवसायिक कुशलता एवं सफलता के लिए 6 दिवसीय प्रशिक्षण से संभव हुआ है।

सतना जिले में सोहावल जनपद के ग्राम खम्हरिया तिवरियान की संध्या के 50 वर्षीय पति ज्ञानेन्द्र द्विवेदी खेतिहर मजदूर थे और असंगठित क्षेत्र के श्रमिक के रूप में उनका पंजीयन हो चुका था। किसी तरह संध्या की आजीविका चल रही थी। अचानक मई 2018 को ज्ञानेन्द्र की अकस्मात मृत्यु से पत्नी संध्या पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। संध्या को संबल योजना के अंतर्गत अन्त्येष्टि सहायता एवं अनुग्रह राशि के रूप में शासन से दो लाख पाँच हजार रुपये की आर्थिक मदद मिल गई। संध्या ने इस आर्थिक मदद से अन्त्येष्टि के लिए उधार लिए पैसे को चुकाया और शेष पैसे से थोड़ी बहुत बेकार पड़ी जमीन को ठीक करने के काम में लगाया। इस तरह पति की मृत्यु से हौसला गवां चुकी संध्या को सरकारी मदद ने उसका हौंसला एवं उत्साह वापस लौटा दिया और उसे अपने परिवार को चलाने के लिए संभलने का मौका दिया है। संध्या बेबाक कहती हैं, 'दुख में सरकार हमार पूरा सहयोग करिस ही। सरकारी मदद मिल जाए से हमी करजा नहीं लेय का पड़ा। एसे हम ही परिवार चलावय म सहूलियत भय ही।''

सक्सेस स्टोरी(टीकमगढ़, दमोह, गुना, सतना )

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश​

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