सफेद मूसली की खेती से लखपति हुए कैलाशचन्द्र
Posted on 15 Jun, 2018 3:58 pm
प्रदेश के किसान राज्य सरकार की योजनाओं से प्रभावित होकर परम्परागत फसलों के साथ-साथ उद्यानिकी और औषधीय फसलें भी ले रहे हैं। इसी क्रम में शाजापुर जिले के ग्राम पनवाड़ी के किसान कैलाशचन्द्र ने सफेद मूसली की खेती कर अच्छा-खासा मुनाफा कमाया है।
कैलाशचन्द्र के पास करीब 3 हेक्टेयर भूमि है, जिस पर वे खरीफ सीजन में सोयाबीन तथा सफेद मूसली और रबी सीजन में आलू, प्याज और लहसुन की खेती कर रहे हैं। इन्हें सफेद मूसली की खेती करने की प्रेरणा ग्राम पनवाड़ी में उद्यान विभाग की सरकारी नर्सरी से मिली। शुरूआत में इन्होंने डेढ़ हेक्टेयर क्षेत्र में करीब डेढ़ क्विंटल सफेद मूसली की फसल बोई। पहले वर्ष इन्हें 6 क्विंटल सफेद मूसली प्राप्त हुई जिसे सुखाकर इंदौर के बाजार में 1200 रुपये प्रति किलो के भाव पर बेचा। इसके बाद इन्होंने सफेद मूसली के रकबे को बढ़ाया। किसान कैलाशचन्द्र बताते हैं कि सफेद मूसली की छिलाई तकनीकी तरीके से करनी पड़ती है। इस पर विशेष ध्यान दिया जाये, तो मुनाफा ज्यादा मिलता है।
कैलाशचन्द्र की सफलता को देखकर क्षेत्र के 4-5 अन्य किसानों ने भी अपने खेत में सफेद मूसली की खेती शुरू कर दी है। इन किसानों का मानना है कि खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिये परम्परागत फसलों के साथ-साथ औषधीय खेती की तरफ भी किसानों को बढ़ना होगा।
झाबुआ जिले के थांदला ब्लॉक के ग्राम सुजापुरा के लघु किसान कालूसिंह ने खेती से सीमित आमदनी की कठिनाइयों के बारे में मत्स्य विभाग के मैदानी अधिकारियों से चर्चा की। इसके बाद मछली-पालन के लिये तालाब के पट्टे के लिए आवेदन दिया। इन्हें मत्स्य-बीज उपलब्ध करवाये गये। अब वे सफलतापूर्वक मत्स्य-पालन कर रहे हैं। आज कृषक कालूसिंह के परिवार की खेती के अलावा अतिरिक्त वार्षिक आमदनी 50 से 60 हजार हो गई है।
सक्सेस स्टोरी (शाजापुर, झाबुआ)
साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश