Posted on 11 May, 2018 2:45 pm

 

प्रदेश में किसानों ने परम्परागत फसलों के साथ-साथ उद्यानिकी फसलें लेकर अतिरिक्त आमदनी का सशक्त जरिया विकसित कर लिया है। इसके लिये किसानों को सरकारी स्तर पर विभिन्न योजनाओं में सब्सिडी भी उपलब्ध करवाई जा रही है।

दिल्ली बाजार में पहुँच रहे सतना के गुलाब: सतना के प्रगतिशील किसान निखिल खण्डेलवाल के पास सतना-पन्ना रोड पर ग्राम सितपुरा में 4 हजार वर्गमीटर भूमि है। उन्होंने एक साल पहले गुलाब की खेती करना शुरू किया। निखिल को उद्यानिकी विभाग की पॉली-हाउस योजना में 50 लाख रुपये लागत का प्रोजेक्ट स्वीकृत किया गया था। इसमें उन्हें उद्यानिकी विभाग ने करीब 17 लाख रुपये सब्सिडी और तकनीकी मार्गदर्शन भी दिया। निखिल ने पॉली-हाउस में गुलाब के एक लाख पौधे लगाये। आज वे हर रोज गुलाब के 20 हजार फूल सुरक्षित रूप से पैक कर दिल्ली भेज रहे हैं। उन्हें 5 रुपये प्रति फूल के हिसाब से हर रोज 10 हजार रुपये की कमाई हो रही है।

निखिल खण्डेलवाल ने मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। हमेशा से खेती से जुड़ा कारोबार करना चाहते थे। उनकी यह चाहत अब पूरी हो गई है। निखिल खण्डेलवाल के पॉली-हाउस में काफी लोगों को रोजगार भी मिल रहा है।

गेंदा फूल की खेती बनी लाभकारी: नीमच जिले के विकासखण्ड जावद के किसान रामलाल धाकड़ नई तकनीक को अपनाने के लिये हमेशा प्रयासरत रहते हैं। उन्होंने सोयाबीन की विभिन्न किस्मों की खेती की, लेकिन अपेक्षा के अनुरूप आमदनी प्राप्त नहीं कर सके। कृषि विभाग द्वारा उन्हें उद्यानिकी फसलों के अध्ययन के लिये राज्य से बाहर अध्ययन दौरे पर भेजा गया। इस दौरे में उन्होंने उद्यानिकी फसलों के बारे में गहन अध्ययन किया।

किसान रामलाल ने अध्ययन दौरे से लौटकर एक हेक्टेयर भूमि में गेंदा फूल के 1600 पौधे लगाये। गेंदा फूल की फसल जुलाई में लगायी थी और अक्टूबर में फूल तोड़कर बेचे। इससे उन्हें 70 हजार रुपये की आय हुई, जो परम्परागत सोयाबीन के मुकाबले ज्यादा थी। उन्होंने अब निरंतर रूप से परम्परागत फसलों के साथ-साथ गेंदा फूल की खेती करने का निश्चय किया है। कृषक रामलाल अपनी सफलता को अपने क्षेत्र के अन्य किसानों के बीच भी साझा करते हैं।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश