Posted on 28 Dec, 2017 1:48 pm

प्रदेश में कृषि को लाभ का धंधा बनाने के लिये किसानों को खेतों पर पहुँचकर आधुनिक तकनीक की जानकारी दी जा रही है। परिणाम स्वरूप प्रति हेक्टेयर उत्पादन में वृद्धि हुई है।

उमरिया जिले के करकेली विकासखण्ड के घुलघुली क्लस्टर के ग्राम गहिरा टोला में किसान जमुना सिंह राठौर ने सघनता पद्धति से अरहर की फसल बोई। कटाई के बाद खराब मौसम में भी 25 से 27 क्विंटल प्रति हेक्टेयर अरहर उत्पादन हुआ। फसल की कटाई के मौके पर वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. के.पी. तिवारी और श्री के.वी. सहारे भी मौजूद थे।

कृषि वैज्ञानिक डॉ. तिवारी ने बताया कि उमरिया जिले में अरहर का औसत उत्पादन सामान्य रूप से 5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर ही हुआ करता है। सघनता पद्धति से किसान जमुना सिंह के खेत में अरहर का उत्पादन 4 से 5 गुना अधिक हुआ है। दिसम्बर माह में फसल पकने से जनवरी माह में अरहर को होने वाले पाले के नुकसान से भी बचाया जा सकता है। जमुना सिंह के खेत में हुए इस प्रयोग को देखकर आसपास के अन्य किसानों ने भी सघनता पद्धति को अपनाने की पहल की है।

रामबीर के बैंक खाते में पहुंची भावांतर राशि

मुरैना जिले में मिरघान के किसान रामबीर के खेत में 16 क्विंटल 70 किलो उड़द हुई थी। उस वक्त उड़द का समर्थन मूल्य 5400 रुपये प्रति क्विंटल था लेकिन उन्हे 3 हजार रूपये प्रति क्विंटल के भाव से ही उड़द बेचकर घर जाना पड़ा। इस कारण निराश थे और परेशान भी। फिर भावांतर भुगतान योजना में पंजीयन कराया तो उनको खाते में 24 हजार 192 रूपये भावांतर राशि मिली। इस राशि से उनकी खुशी का ठिकाना नही रहा। निराशा दूर हुई। तब योजना पर भरोसा हुआ। रामबीर ने भावांतर भुगतान योजना में अन्य फसलों को भी शामिल करने की आवश्यकता बताई है।

सफलता की कहानी (उमरिया/मुरैना)

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश