Posted on 01 Feb, 2017 5:16 pm

 

भोपाल : बुधवार, फरवरी 1, 2017, 15:05 IST

 

नमामि देवि नर्मदे सेवा यात्रा पूर्व निमाड़ खण्डवा जिले में तीसरे दिन संत सिंगाजी की समाधि स्थल पर पहुँची। यहाँ यात्रियों के रात्रि विश्राम की समुचित व्यवस्थाएँ की गई। साथ ही सिंगाजी की स्मृति में बुलायी गई विभित्र भजन मण्डलियों ने आहूत माँ नर्मदा पर रचित भजनों को गाकर न केवल श्रोताओं को आनंदित किया बल्कि नर्मदा के संरक्षण एवं जल को प्रदूषण मुक्त करने हेतु गंदगी प्रवाहित न करने का संदेश भी दिया । संत सिंगाजी ने पूर्व निमाड़ को अपनी कर्मस्थली बनाया। उनका पूरा समय आध्यात्मिक चिंतन, मनन, और भजन में ही बीता। आज भी लोगों में सिंगाजी के चमत्कार एवं आश्चर्य जनक कार्यों की अनेक किंवदंतियाँ प्रचलित हैं।

भजन सिंगाजी की निर्गुण और रहस्यवादी दृष्टि के संवाहक हैं। उन्होंने देह को मंदिर और ब्रह्मा को उसमें स्थित देवता के रूप में निरूपित कर एकेश्वरवाद और ब्रह-जीव की अखण्डता प्रतिपादित की है। भजन उनके अमर संदेश और साहित्य दोनों है। भजन मण्डली का महत्व इससे प्रतिपादित होता है कि उन्हें आत्म ज्ञान की प्राप्ति हरसूद में स्वामी मनरंगीर के भजन सुनकर हुई।

भजन के सर्व-व्यापी महत्व को देखते हुए ही मुख्यमंत्री श्री चौहान ने नर्मदा सेवा यात्रा में भजन मण्डली को विशेष महत्व प्रदान करते हुए उनके लिए प्रथम पुरस्कार 50000 रूपये, द्वितीय 30000 और तृतीय 20000 रूपये प्रदान करने के निर्देश हि हैं। इसके पीछे मूल भाव यही है कि भजनों के माध्यम से जन-जन में माँ नर्मदे की स्तुति गान से जल-सरंक्षण, वृक्षारोपण एवं प्रदूषित सामग्री नदी में न बहाने के लिए दृढ़ संकल्प का भाव जागृत हो।

यात्रा का प्रमुख उद्देश्य लोगों में माँ नर्मदा के प्रति आस्था और भक्ति का संचार करना है ताकि नर्मदा मैया अविरल और निर्मल जलधारा के रूप में अनंत काल तक प्रवाहित होती रहे। भक्ति के संचार एवं निर्गुण ब्रह्म को पाने का उत्तम माध्यम है -भजन।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश