Posted on 28 Jul, 2018 7:43 pm

 

जबलपुर शहर के श्रमिक शफीक और उनकी पत्नी तसलीमा बानो अपने लाड़ले बेटे मोहम्मद सैफ की नि:शुल्क कॉक्लियर इंप्लांट की सफल सर्जरी के बाद अब उससे बात करने, उसकी आवाज सुनने के लिये बेताब हैं। अभी 27 जुलाई को ही जबलपुर के सेठ गोविंददास जिला चिकित्सालय में सैफ की सर्जरी हुई है। सैफ देश और प्रदेश का पहला बच्चा है, जिसकी कॉक्लियर सर्जरी सरकारी अस्पताल में की गई है। सर्जरी का पूरा खर्चा मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना में वहन किया गया है।

शफीक अपने साढ़े छह साल के बेटे मोहम्मद सैफ के गूंगेपन और बहरेपन के ईलाज के लिये पैसा नहीं जुटा पाने के कारण सालभर पहले उसका विकलांगता प्रमाण-पत्र बनवाने के लिये जिला अस्पताल के विकलांग पुनर्वास केन्द्र गया था। वहाँ नाक, कना, गला विशेषज्ञ डॉ. रूमिता आचार्य ने उन्हें समझाया कि कॉक्लियर इंप्लांट की सर्जरी से बच्चा अच्छे से बोल सकेगा और सुन सकेगा। उन्होंने यह भी बताया कि सर्जरी का पूरा खर्च राज्य सरकार की मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना में वहन किया जायेगा। शफीक को बात जमीं।

कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी के बाद मोहम्मद सैफ को विक्टोरिया अस्पताल के आई.सी.यू. वार्ड में देखरेख के लिए रखा गया है। जहाँ से पाँच दिनों बाद उसे छुट्टी दी जायेगी। इक्कीस दिन बाद इंप्लांट की गई मशीन को चालू किया जायेगा। मशीन चालू होते ही बच्चे को आवाज सुनाई देने लगेगी। हालाँकि उसे आवाजों को समझने में समय लगेगा। आवाजों को समझने के लिए बच्चे को करीब छह माह तक स्पीच थेरेपी दी जायेगी।

मोहम्मद सैफ की सफल सर्जरी से उत्साहित डॉ. रूमिता आचार्य बताती हैं कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना में कॉक्लियर इंप्लांट के लिए तकरीबन पच्चीस बच्चों को और चिन्हित किया गया है। बड़ी आयु के बच्चों की अपेक्षा दो से चार वर्ष की आयु के बच्चों में कॉक्लियर इंप्लांट के बेहतर परिणाम आते हैं ।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश