Posted on 10 May, 2018 3:12 pm

जबलपुर जिले में समीपवर्ती ग्राम सिहोदा के मनोज लढ़िया खेती-किसानी और मेहनत-मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करते हैं। मनोज के लिए खुद का पक्का मकान किसी सपने से कम नहीं था लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना ने मनोज की मदद की। आज मनोज के पास अपना पक्का मकान है।

मनोज बताते हैं कि पहले उनके पास खपरैल का कच्चा झोपड़ी वाला घर था, छोटा भी था। आंधी पानी और तेज बरसात में खपरैल की छत से जगह-जगह से पानी टपकता था। इससे बचने के लिए तिरपाल अथवा मोटी पन्नी को खरपैल के ऊपर लगाना पड़ता था। फिर भी घर में रखा चावल, दाल, आटा, कपड़े-लत्ते भीग जाते थे। बरसात में कभी-कभी तेज आंधी में खरपैल से पन्नी उड़ जाती थी। मिट्टी की दीवारें भी बरसात में भीग कर धसकने लगती थी। बरसात में रात भर चारपाई को घर के एक कोन से दूसरे कोने तक खिसकाना पड़ता था, तब कहीं थोड़ी बहुत नींद आ पाती थी, बड़ा कष्ट था।

अब मनोज के लिये यह सब बीते दिनों की बात हो गई है। आज वह परिवार सहित पक्के मकान में निश्चिंत जीवन बिता रहा है। घर के हर सदस्य के चेहरे पर मुस्कान है। मकान के पीछे आंगन में शौचालय है। इनका परिवार गांव के बड़े-बुजुर्गों को भी शौच के लिए शौचालय में ही जाने की सलाह दे रहा है।

मनोज को घर और शौचालय बनाने के लिए एक लाख 38 हजार रूपये सहायता राशि प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना में मिली है। इसके अलावा, घर बनाने में उनके परिवार ने खुद भी मजदूरी की, जिसका पारिश्रमिक मनरेगा योजना में अलग से मिला। अब मनोज की घर की छत टपकती नहीं है क्योकि घर पक्का है।

सक्सेस स्टोरी (जबलपुर)

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश