Posted on 09 Mar, 2018 8:07 pm

 

राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा है कि शिक्षकों ने देश को स्वतंत्रता दिलाने में अपना विशेष योगदान दिया है। गुलामी के दिनों में भी देश की संस्कृति और सभ्यता को अंग्रेजी और यूरोपीय सभ्यता के प्रभाव से सुरक्षित रखने के लिए शिक्षकों ने भी संघर्ष किया। राज्यपाल ने यह बात आज बंसल समूह द्वारा आयोजित उत्कृष्ठ शिक्षक सम्मान समारोह को सम्बोधित करते हुए कही। इस अवसर पर राज्यपाल के प्रमुख सचिव डॉ. एम मोहन राव, शिक्षक और छात्र-छात्राएं भी उपस्थित थे।

राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा कि अंग्रेजों के शासन काल में हमारी प्राचीन संस्कृति और शिक्षा का क्षरण हुआ है। इसी कारण हमारी मात्र भाषा हिन्दी के स्थान पर अंग्रेजी को बढ़ावा मिला। उन्होंने कहा कि यह बड़ी चिंता की बात है कि हायर सेकेंड्री स्कूलों तक प्रार्थना होती है लेकिन कालेजों में नहीं होती है।

राज्यपाल ने कहा कि हमें महिलाओं, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों की छात्राओं पर ध्यान देना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी कम उम्र में विवाह की परम्परा जारी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना में छात्राओं की शिक्षा और विकास के लिए गंभीरता के साथ प्रयास किये जा रहे हैं। राज्यपाल ने कहा कि आज भी अनेक माता-पिता की सोच है कि बेटी नहीं, बेटा चाहिए, जो गलत है। जहां नारी का सम्मान होता है, वहां देवता वास करते हैं। बेटियां आज पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रही हैं। श्रीमती पटेल ने कहा कि हमें ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की मुहिम के प्रति जागृति पैदा करने का संकल्प लेना चाहिए।

राज्यपाल श्रीमती पटेल ने आंगनबाड़ी केन्द्रों और प्राइमरी स्कूलों में पोषण आहार पर पूरा ध्यान देने पर जोर दिया। राज्यपाल ने उत्कृष्ट कार्य करने वाले लगभग 70 शिक्षकों तथा 8 मेधावी छात्र-छात्राओं का स्मृति चिंह और प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मान किया। बंसल ग्रुप के सचिव इंजीनियर सुनील बंसल ने समूह की गतिविधियों पर विस्तार से प्रकाश डाला।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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