Posted on 08 Oct, 2017 3:58 pm

 

मध्यप्रदेश में शहरी स्वच्छ भारत मिशन की दिशा में किए गए प्रयासों के परिणाम दिखाई देने लगे हैं। स्वच्छता के मानदण्डों के आधार पर 361 नगरीय निकायों को क्वालिटी काउंसिल ऑफ इण्डिया द्वारा खुले में शौच मुक्त शहर प्रमाणित किया गया है। इन्हें शामिल करते हुए सभी 378 नगरीय निकाय को खुले में शौच मुक्त घोषित किया गया है।

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 7 लाख 31 हजार से अधिक परिवार को शौचालय विहीन चिन्हित किया गया था। सभी नगरीय क्षेत्रों में सर्वे कराकर 6 लाख 18 हजार व्यक्तिगत शौचालय स्वीकृत किए गए। अब तक लगभग 4 लाख 80 हजार शौचालय निर्मित करवाये जा चुके हैं। इस वित्त वर्ष में लगभग 2 लाख शौचालय निर्माण का लक्ष्य है। मिशन अवधि में लगभग 40 हजार सीट सार्वजनिक/सामुदायिक शौचालयों के निर्माण का लक्ष्य है। इसमें से 12 हजार 223 सीटों का निर्माण किया जा चुका है।

उल्लेखनीय है कि शहरी स्वच्छ भारत मिशन के लक्ष्य पूर्ति में व्यक्तिगत शौचालय के लिए 39 हजार 200 रूपये प्रति सीट, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए 35 प्रतिशत तथा सूचना शिक्षा संप्रेषण के लिए 15 प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार द्वारा दी जा रही है।

पीपीपी से एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन

प्रदेश के सभी 378 नगरीय निकायों के 26 समूह गठित कर एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन योजना को जन-भागीदारी से किया जा रहा है। इन 26 समूह आधारित योजनाओं में से भोपाल समूह के आठ निकाय, इंदौर के आठ निकाय, ग्वालियर-पन्द्रह निकाय, रीवा-28 निकाय तथा रतलाम समूह के 22 निकाय के कचरे से विद्युत उत्पादन के संयंत्र लगाकर लगभग 72 मेगावॉट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। सभी 26 योजना का क्रियान्वयन मार्च 2019 तक पूर्ण कर लिया जायेगा।

प्रदेश सरकार द्वारा स्वयं के स्रोतों से ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के सफल क्रियान्वयन तथा योजना को वहनीय बनाने के लिये निकायों को 20 प्रतिशत अनुदान तथा 30 प्रतिशत तक राशि, यदि आवश्यक हो, तो 5 प्रतिशत ब्याज पर ऋण दिये जाने, व्यक्तिगत शौचालय के लिये हितग्राही को 6,880 रुपये तथा सामुदायिक/ सार्वजनिक शौचालय के लिये निकाय को 32 हजार 500 रुपये प्रति सीट का अनुदान दिये जाने का प्रावधान किया गया है।  

मिशन के अंतर्गत प्रदेश ने अपने लक्ष्य का निर्धारण कर उनकी पूर्ति की रणनीति तैयार की है। राज्य स्तर पर ''समग्र स्वच्छता'' के पाँच स्तम्भ, सरलता, पारदर्शिता, निरंतरता, संवहनीयता, जनजागरूकता के आधार पर कार्य किया जा रहा है।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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