Posted on 29 Jul, 2017 7:23 pm

 

भोपाल : शनिवार, जुलाई 29, 2017, 18:57 IST

 

बाघ की गिनती विश्व के सबसे सुंदर और शानदार जानवरों में होती है। खूबसूरत नारंगी-काली धारियों वाले इस प्राणी का अस्तित्व निरंतर शिकार, जलवायु परिवर्तन, आवास-स्थल की कटौती और अन्य कारणों से खतरे में आ गया। इसे बचाने के लिये रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में वर्ष 2010 में हुए टाइगर समिट में 29 जुलाई को ग्लोबल टाइगर डे मनाने का निर्णय लिया गया। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य-प्राणी) श्री जितेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि टाइगर डे का उद्देश्य बाघों का संरक्षण करते हुए इनकी आबादी को बढ़ाना है।

श्री अग्रवाल ने बताया कि प्रत्येक टाइगर में 100 से अधिक धारियाँ होती हैं, लेकिन किन्हीं भी दो टाइगर की धारियों का डिजाइन एक-सा नहीं होता।

बाघ की 8 उप प्रजातियाँ हैं, जिनमें भारतीय या बंगाल टाइगर, इण्डो-चायनीज, सुमात्रां-अमूर या सायबेरियन, दक्षिण चीनी, केस्पियन (विलुप्त), जावा (विलुप्त) और बाली (विलुप्त) हैं।

  • बाघ रात में मनुष्य से 6 गुना बेहतर देख सकता है। वे न केवल देख कर, बल्कि सुन और सूंघकर भी शिकार कर सकते हैं।

  • बाघ के पंजे खाल के अंदर रहने के कारण हमेशा नुकीले बने रहते हैं। शिकार के वक्त ही बाघ अपने पंजे बाहर निकालते हैं।

  • बाघ, सिंह, तेंदुआ और चीता मात्र ये 4 जानवर हैं विश्व में, जो केवल दहाड़ सकते हैं, बोल नहीं सकते। वर्तमान में मात्र 3000 से भी कम बाघ बचे हैं।

  • बाघ एक बार में 22 से 32 किलो तक माँस खाते हैं। इसके बावजूद वे हफ्तों तक भूखे रह सकते हैं।

  • सफेद बाघ सफेद रोग का शिकार नहीं होता, बल्कि ऑरेंज रंग के जीन्स न होने के कारण वह सफेद होता है।

  • बाघ एक बार में 10 फीट ऊँचा कूद सकता है।

  • बाघों में सबसे बड़ी प्रजाति सुमात्रां बाघ और सबसे छोटी सायबेरियन बाघ की होती है।

  • बाघ भारत, बांग्लादेश, मलेशिया और साउथ कोरिया का राष्ट्रीय पशु है।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश