Posted on 28 Jun, 2017 6:07 pm

भोपाल : बुधवार, जून 28, 2017, 17:48 IST
 

आदिम जाति और अनुसूचित जाति कल्याण राज्य मंत्री श्री लाल सिंह आर्य ने कहा कि छात्रावास और आश्रम शालाओं में शिक्षकों के 9000 पदों की पूर्ति के लिये प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड को रिमाइण्डर भेजकर पदों पर जल्द भर्ती करवायी जाये। श्री आर्य आदिम जाति कल्याण और अनुसूचित जाति कल्याण विभाग की गतिविधियों की समीक्षा कर रहे थे।

राज्य मंत्री श्री आर्य ने कहा कि विभाग की उपलब्धियों का प्रचार-प्रसार व्यापक-स्तर पर किया जाये। श्री आर्य ने कहा कि विभाग की योजनाओं का लाभ लेने वालों की संख्या में वृद्धि के लिये भी बहुतायत में प्रचार-प्रसार हो। इसके लिये आदिवासी बहुल क्षेत्र में स्कूल, कॉलेज सहित अन्य संस्थाओं में होर्डिंग आदि से जानकारी दी जाये। उन्होंने विभागीय गतिविधियों एवं उपलब्धियों को विभाग की वेबसाइट पर भी प्रसारित करने को कहा।

श्री आर्य ने कहा कि 2 जुलाई को छात्रावासों में 5-5 पौधे लगाये जायें। इसमें फलदार पौधों का चयन किया जाये, जिससे छात्रावासों के बच्चों को पोषण भी मिल सके। उन्होंने कहा कि गुरुकुल, स्कूल, आश्रम-शालाएँ और आवासीय संस्थाओं में एक-एक पौधा जरूर लगायें। उन्होंने निर्देश दिये कि छात्रावासों के किचन गार्डन की मॉनीटरिंग संभागीय अधिकारी करें। श्री आर्य ने कहा कि वन्या प्रकाशन द्वारा स्थानीय बोली में होने वाले कार्यक्रमों के प्रसारण की रूपरेखा हर माह तैयार कर केलेण्डर जारी किया जाये।

श्री लाल सिंह आर्य ने निर्देश दिये कि संभागीय अधिकारी छात्रावासों के निरीक्षण के दौरान वहाँ के रजिस्टर में टिप्पणी जरूर अंकित करें। उन्होंने कहा कि विभाग के कई नियमों में संशोधन हुआ है। उसकी जानकारी के साथ नये जोश एवं ऊर्जा के साथ काम करें। नये सत्र से उचित परिवर्तन दिखने चाहिये। उन्होंने कहा कि छात्रावासों को व्यवस्थित रखने से विद्यार्थियों को अच्छा वातावरण मिल सकेगा। छात्रावासों में महापुरुषों की तस्वीर और पुस्तकें रखी जाये। श्री आर्य ने कहा कि संभाग एवं जिले में किये गये कार्यों का आकलन किया जाये। उन्होंने कहा कि अधिकारी अपनी योग्यता साबित करें।

श्री आर्य ने कहा कि विभाग से संबंधित सी.एम. की घोषणाओं को जल्द से जल्द पूरा करने की कार्यवाही की जाये। उन्होंने निर्माणाधीन भवनों का कार्य जल्द पूरा करवाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि इनमें हो रहे काम की मॉनीटरिंग स्वयं संभागीय अधिकारी करें। उन्होंने कहा कि आदिवासी बहुल क्षेत्र की सूची नियमानुसार रिवाइज की जाये और उसी प्राथमिकता क्रम में काम स्वीकृत हों। संभागीय अधिकारी जिला-स्तर पर स्वीकृत बजट के अनुसार काम होने की समीक्षा करें। किये गये काम और कार्यक्रम के फोटो संकलन का काम जरूर किया जाये। इनका उपयोग प्रदर्शनी आदि लगाने में हो। पोस्ट मेट्रिक छात्रवृत्ति की जानकारी देकर अनुसूचित-जाति के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिये प्रोत्साहित किया जाये।

श्री लाल सिंह आर्य ने विदेश अध्ययन में सरकार द्वारा दी जा रही सुविधा की जानकारी भी बच्चों को देने को कहा। साथ ही उन्होंने मोबाइल के माध्यम से बच्चों से समय-समय पर चर्चा कर उन्हें आ रही परेशानी को जानने के लिये भी कहा। श्री आर्य ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा की जाने वाली समीक्षा के प्रेजेंटेशन में उपलब्धि वाला कॉलम जोड़ा जाये। श्री आर्य ने निर्देश दिये कि आदिवासी वित्त-विकास निगम में रिक्त पदों पर भर्ती और कार्यालयविहीन जिलों में कार्यालय की माँग शासन को भेजें।

बताया गया कि प्रदेश की आदिवासी संस्कृति की प्रचुरता को जन-जन तक पहुँचाने के लिये राष्ट्रीय चेनल इपिक पर 13 एपीसोड के धारावाहिक का प्रसारण जल्द शुरू होने वाला है। प्रदेश के 51 जिलों में से उत्कृष्ट एक-एक बालक-बालिका को भारत दर्शन करवाने की कार्य-योजना तैयार की गयी है। मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना में सागर, नरसिंहपुर और सिवनी में एक-एक हितग्राही को एक करोड़ का ऋण स्वीकृत किया गया है। कौशल उन्नयन प्रशिक्षण के जरिये लगभग 13 हजार 500 लोगों को रोजगार और 790 हितग्राही को स्व-रोजगार उपलब्ध करवाया गया है।

विभागीय प्रक्रियाओं के कम्प्यूटरीकरण को सरल किया जा रहा है। उत्कृष्ट क्रीड़ा परिसर में इंटरनेशनल स्तर के कोच की व्यवस्था की जा रही है। मुख्यमंत्री विदुषी योजना के जरिये माताओं को प्रोत्साहन राशि उपलब्ध करवायी जा रही है। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिये संभाग-स्तर पर 11वीं और 12वीं की कोचिंग इंदौर, भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर में दी जा रही है। रोजगार के लिये प्रशिक्षण में 10 हजार हितग्राही को ट्रेनिंग का वर्क-आर्डर जारी किया गया है।

बैठक में प्रमुख सचिव श्री अशोक शाह, आयुक्त श्रीमती दीपाली रस्तोगी, आदिवासी वित्त विकास निगम की प्रबंध संचालक श्रीमती रेणु तिवारी और अपर आयुक्त आदिवासी विकास श्री चन्द्रमोहन ठाकुर उपस्थित थे।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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