वर्ष 2018 में प्रदेश में हो जायेंगे 350 से अधिक बाघ
Posted on 29 Jul, 2017 5:45 pm
18 देशों के प्रतिनिधि करेंगे पेंच टाइगर रिजर्व की फील्ड विजिट
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भोपाल : शनिवार, जुलाई 29, 2017, 17:00 IST | |
रूस के सेंट पीटर्सवर्ग में वर्ष 2010 में हुए सम्मेलन में दुनिया में वर्ष 2022 तक बाघों की संख्या दोगुनी करने का संकल्प लिया गया था। वर्ष 2010 में मध्यप्रदेश में 257, वर्ष 2014 में 308 बाघ थे। प्रदेश के 6 टाइगर रिजर्व एवं क्षेत्रीय वन मण्डलों से प्राप्त हो रहे कैमरा ट्रेप छायाचित्रों से वर्ष 2018 में इनकी संख्या 350 से अधिक होने का अनुमान है। इस प्रकार मध्यप्रदेश 8 वर्षों में बाघों की संख्या में लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए अंतर्राष्ट्रीय संकल्प को पूरा करने में भरपूर योगदान दे रहा है। वर्ष 2014 में मध्यप्रदेश में 286 अलग-अलग बाघों के चित्र कैमरा ट्रेप में मिले थे, जो भारत के किसी भी प्रदेश से मिले बाघ चित्रों में सर्वाधिक थे। वन मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार ने यह जानकारी आज नई दिल्ली में केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन द्वारा विश्व बाघ दिवस पर विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में दी। डॉ. शेजवार ने केन्द्रीय मंत्री का विश्व बैंक, यूएनडीपी और केन्द्रीय वन मंत्रालय द्वारा अक्टूबर-2017 में की जा रही ग्लोबल वाइल्ड लाइफ कॉन्फ्रेंस के लिये मध्यप्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व के चयन के लिये धन्यवाद भी दिया। पेंच टाइगर रिजर्व में जन-भागीदारी से किये जा रहे वन्य-प्राणी संरक्षण के उत्कृष्ट कार्य 18 देशों के प्रतिनिधि फील्ड विजिट के दौरान देखेंगे। डॉ. शेजवार ने बताया कि वन्य-प्राणी प्रबंधन को वैज्ञानिक दृष्टि से अधिक सुदृढ़ बनाने के लिये राज्य वन अनुसंधान संस्थान, जो पहले सामान्यत: वानिकी अनुसंधानों तक ही सीमित था, उसमें वन्य-प्राणी विशेषज्ञों को भी शामिल किया गया है। इसी प्रकार जबलपुर में स्थापित नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विद्यालय में वन्य-प्राणी फॉरेंसिक एवं स्वास्थ्य संस्थान की स्थापना की गयी है। कार्यक्रम के बाद केन्द्रीय वन मंत्री के साथ हुई वन-टू-वन बैठक में मध्यप्रदेश को खरबई और सागर में चिड़िया-घर-सह-रेस्क्यू सेंटर खोलने के लिये सैद्धांतिक सहमति दी गयी। डॉ. शेजवार ने वन्य-प्राणी अपराधों के अन्वेषण में सहायता के लिये इण्डियन टेलीग्राफ एक्ट में राज्यों के वन विभागों को लॉ एन्फोर्समेंट एजेंसी घोषित करने का भी अनुरोध किया। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य-प्राणी) श्री जितेन्द्र अग्रवाल और एप्को पर्यटन बोर्ड के कार्यपालन संचालक श्री पुष्कर सिंह भी मौजूद थे। |
साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश