Posted on 27 Dec, 2017 1:13 pm

महिला बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा है कि वर्तमान समय शिक्षकों के लिये सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण समय है। पूर्व में बाल मनो-विज्ञान को प्रभावित करने वाले तत्व सीमित थे। वर्तमान में सूचना प्रौद्योगिकी और जीवन में आये अन्य बदलावों के परिणामस्वरूप बाल मनोविज्ञान अन्य अनेक तत्वों से प्रभावित हो रहा है। इस परिस्थिति में छात्र-छात्राओं के साथ बेहतर समन्वय और परस्पर समझ विकसित कर उन्हें सीखने की प्रक्रिया में शामिल करना कठिन चुनौती है। श्रीमती चिटनिस आज यहां कैम्पियन स्कूल में दो दिवसीय 'ग्लोबल टीचर्स मीट' के उदघाटन सत्र को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि शिक्षक तुलसी के पौधे के समान है। जैसे तुलसी 24 घंटे आक्सीजन देती है, वैसे ही शिक्षक अपने आचार-विचार और व्यवहार से समाज को हर समय प्राण वायु देते हैं।

श्रीमती चिटनिस ने कहा कि बच्चों को अच्छे इंसान के रूप में विकसित करने में शिक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान है। शिक्षकों का यह दायित्व है कि वे सभी छात्र-छात्राओं को बराबर का प्रेम और स्नेह दें। अधिक अंक प्राप्त करने और कम अंक लाने वाले बच्चों में इस आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। शिक्षकों और पालकों में सही तालमेल से ही बच्चों के व्यक्तित्व विकास में सकारात्मक परिणाम सामने आयेंगे। उन्होंने कहा कि केवल बेहतर अंक ही बेहतर शिक्षा की कसौटी नहीं है। बच्चों में आत्मविश्वास का विकास, अपने और देश के प्रति आत्म-सम्मान, परिवार और समाज से जुड़ने और जोड़ने की क्षमता का विकास तथा सुख-दुख को अभिव्यक्त करने और बाँटने की क्षमता से ही सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकसित होता है।

इस अवसर पर श्रीमती चिटनिस ने वरिष्ठ शिक्षकों का सम्मान किया। कार्यक्रम में आर्च विशप लियो कार्नेलियो, प्रो. डॉ. आर.पी. खम्बायत, सुश्री कला मोहन सहित विभिन्न संस्थाओं के शिक्षक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश