Posted on 04 Jun, 2016 8:30 pm

केन्द्रीय शहरी विकास राज्य मंत्री श्री बाबुल सुप्रियो ने शुक्रवार को विश्व की पहली मुकुन्दपुर व्हाईट टाइगर सफारी का भ्रमण किया। उन्होंने सफारी का आनंद लेने के साथ ही सफेद बाघ को भी देखा। श्री सुप्रियो ने कहा कि देश में वन्य-प्राणियों की विलुप्त होती प्रजातियों का संरक्षण तथा संवर्धन जरूरी हैं। विन्ध्य की पहचान सफेद बाघ की वापसी इसका जीता-जागता उदाहरण है। जनसंपर्क तथा ऊर्जा मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने श्री सुप्रियो को व्हाइट टाइगर सफारी का भ्रमण करवाया। उन्होंने सफारी की स्थापना से लेकर आगे तक की योजनाओं से अवगत करवाया।

राज्य मंत्री श्री सुप्रियो ने कहा कि मुकुन्दपुर के सफेद बाघ का दीदार कर मैं अभिभूत हूँ। सफारी में प्रवेश करते ही कुछ सेकेण्ड में सफेद बाघ को सामने देखना एक रोमांचकारी दृश्य था। इसे भुलाया नहीं जा सकता। ऐसा लगा कि सफेद बाघ और उनका कुनबा हमारी ही प्रतीक्षा कर रहा था।

केन्द्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि किसी भी कार्य को जुनून और जज्बे के साथ किया जाये तो निश्चित ही उसके परिणाम अच्छे मिलते हैं। जनसंपर्क मंत्री श्री शुक्ल का यह प्रयास इसका उदाहरण है। उन्होंने श्री शुक्ल द्वारा विन्ध्य के गौरव सफेद बाघ को इस क्षेत्र में पुन:स्थापित करने के लिए व्हाइट टाइगर सफारी के निर्माण के प्रयासों की सराहना की।

जनसंपर्क मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने बताया कि सफेद बाघ विन्ध्य की पहचान रही है। हम इसे विन्ध्य की धरा पर वापस लाकर गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। मुकुन्दुपर जू सफारी विश्व का ऐसा केन्द्र होगा जहाँ जू, सफारी, रेस्क्यू केन्द्र तथा ब्रीडिंग-सेन्टर एक ही स्थान पर होगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश का विन्ध्य क्षेत्र सफेद बाघ की नैसर्गिक मातृभूमि और मौलिक पर्यावास है। प्रदेश के इतिहास में 27 मई 1951 का दिन अविस्मरणीय है। इसी दिन सफेद बाघ विन्ध्य के वनों से मनुष्य के संरक्षण में आया। जनसंपर्क मंत्री ने बताया कि इसके लिये रीवा के तत्कालीन महाराज श्री मार्तण्ड सिंह के प्रति विश्व के वन्य-जीवन प्रेमी सदैव कृतज्ञ रहेंगे। विंध्य में सफेद बाघों का संवर्धन और संरक्षण 8 जुलाई 1978 तक होता रहा। यहीं से सफेद बाघ की वंश-बेल दुनिया भर में फैली।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश 

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