Posted on 23 Dec, 2016 6:11 pm

भोपाल : शुक्रवार, दिसम्बर 23, 2016, 17:52 IST
 

अनुसूचित जाति और जनजाति के व्यक्ति को उत्पीड़न से राहत देना और उत्पीड़कों को दण्ड दिलाना जरूरी है । घटना घटित होती है, परिवार पीड़ित होता है, सरकार की मंशा पीड़ित परिवार को राहत पहुंचाने की है । अनुसूचित जाति, अत्याचार निवारण अधिनियम में प्रावधानों के अनुसार समय पर राहत दिलाई जाये और उत्पीड़क को दण्ड दिलाया जाये । संभागायुक्त श्री अजात शत्रु श्रीवास्तव ने यह निर्देश संभागस्तरीय सतर्कता, सलाहकार एवं अनुश्रवण समिति की बैठक में दिए । बैठक में डीआईजी डॉ. रमनसिंह सिकरवार, संभाग के जिलों के कलेक्टर्स, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत और संभाग के जिलों के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के अधिकारी मौजूद थे ।

बैठक में बताया गया कि संभाग में एक अप्रैल 2016 से 31 अक्‍टूबर 2016 तक की अवधि में पुलिस विभाग से अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत 376 प्रकरण निराकरण के लिए प्राप्त हुए । इसके अतिरिक्त 40 प्रकरण संभाग के बाहर के जिलों से भी प्राप्त हुए कुल 416 प्रकरण में से समिति द्वारा 370 प्रकरणों में राहत राशि स्वीकृत की गई । केवल दो प्रकरण निरस्त किए गए । और अन्य जिलों से संबंधित होने के चलते 44 प्रकरण दूसरे जिलों को भेजे गए । भोपाल संभाग में राहत प्रकरणों की स्वीकृति के लिए अब कोई भी प्रकरण लंबित नहीं है । स्वीकृत किए गए प्रकरणों में भोपाल जिले के 18, सीहोर के 69, विदिशा के 126, राजगढ़ के 65, रायसेन के 92 प्रकरण शामिल हैं । बैठक में बताया गया कि अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 31 अक्टूबर 2016 तक 110 व्यक्तियों को अनुकम्पा नियुक्ति दी गई है ।

संभागायुक्त श्री श्रीवास्तव ने अधिकारियों से कहा कि सार्वजनिक स्थानों से अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग को अपमानित, प्रताड़ित करने की सूचना मिलने पर तुरंत कार्रवाई होना चाहिए । सार्वजनिक स्थानों पर किसी भी प्रकार से कोई भी इन वर्गों के विरूद्ध अत्याचार करने का दुस्साहस नहीं करे । पुलिस प्रशासन को मिलकर इसको सुनिश्चित करना चाहिए । इस प्रकार की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता ।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश