Posted on 20 Dec, 2016 5:05 pm

भोपाल : मंगलवार, दिसम्बर 20, 2016, 16:50 IST
 

स्कूल शिक्षा मंत्री कुंवर विजय शाह ने कहा है कि राष्ट्रीय बालरंग महोत्सव अनेकता में एकता का श्रेष्ठ उदाहरण है। महोत्सव से विभिन्न प्रदेशों से आये स्कूली बच्चें एक दूसरे की संस्कृति को जान सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज के युग में संचार के आधुनिक माध्यमों से वे वर्षों तक एक-दूसरे से जुड़े भी रह सकते हैं। मंत्री कुंवर शाह लोक शिक्षण संचालनालय, स्कूल शिक्षा विभाग एवं इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के आयोजन राष्ट्रीय बालरंग महोत्सव का शुभारंभ कर रहे थे। मंत्री कुंवर विजय शाह ने तीन रंग के गुब्बारे छोड़कर महोत्सव की शुरूआत की।

मंत्री कुंवर शाह ने कहा कि प्रदेश नित्य नये प्रयोग कर रहा है। उन्होंने स्वागत के तौर पर दिये गये पौधे को प्रेरणा-स्त्रोत बताया। उन्होंने कहा कि जन्म-दिन के अवसर पर किसी मित्र को उपहार में पौधा देंगें तो वो जीवन भर उसे संभाल कर रखेगा और आपकी यादें सदैव जीवित रहेंगी। कुंवर शाह ने कहा कि इसी प्रकार पुस्तकों के उपहार से ज्ञान प्राप्त होता है और एक पुस्तक से कई व्यक्ति लाभांवित होते हैं।

कुंवर शाह ने कहा कि बालरंग के जरिये इतने सारे प्रदेश के लोग एक मंच पर दोस्त बनेंगें और उनके रहन-सहन, संस्कृति आदि को समझेंगे। उन्होंने कहा कि स्कूली दोस्ती स्वार्थ और ईर्ष्या के परे होती है। स्कूली दिन जीवन में लौट के नहीं आते। स्कूल की दोस्ती वर्षों तक रहती है।

नगर निगम भोपाल के अध्यक्ष श्री सुरजीत सिंह चौहान ने कहा कि भारत की संस्कृति को बचाने की आवश्यकता है। बालरंग इसमें सहायक की भूमिका अदा करता है। बालरंग से बच्चों में व्यक्तित्व क्षमता भी बढ़ेगी।

प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा श्रीमती दीप्ति गौड़ मुखर्जी ने कहा कि बालरंग 'मिनी इंडिया' का प्रतिबिम्ब है। बालरंग जैसे आयोजन से बच्चों में राष्ट्रीय भावना आती है। इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के निदेशक प्रो. सरित कुमार चौधरी ने स्वागत भाषण दिया।

मंत्री कुंवर शाह ने राष्ट्रीय बालरंग महोत्सव स्मारिका-2016 'सृष्टि रंग' और बाल पत्रकारों द्वारा प्रकाशित 'बाल-पत्र' समाचार-पत्र का विमोचन किया। उन्होंने बाल पत्रकारों के सवालों का जवाब भी दिया।

मंत्री कुंवर शाह ने महोत्सव की शुरूआत में 22 प्रदेश के बच्चों के अभिवादन को स्वीकारा और उनके प्रतिनिधियों से परिचय प्राप्त कर समूह चित्र निकलवाया। इन प्रदेश में त्रिपुरा, दादर नगर हवेली, जम्मू-कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, हरियाणा, बिहार, कर्नाटक, सिक्किम, आन्ध्रप्रदेश, असम, गुजरात, दिल्ली, मणिपुर, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, छत्तीगढ़, तेलंगाना, केरल, महाराष्ट्र, चण्डीगढ़, तमिलनाडु और पंजाब राज्य के स्कूली बच्चों ने लोक-नृत्य की प्रस्तुति दी। मंत्री कुंवर शाह ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियों को देखा। अतिथियों का स्वागत औषधीय पौधे और पुस्तकें भेंट कर किया गया। महोत्सव स्थल पर अलग-अलग प्रतियोगिताओं के अलग-अलग मंच बनाये गये हैं।

इस मौके पर लोक शिक्षण आयुक्त श्री नीरज दुबे सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे। बालरंग की शुरूआत 19 दिसम्बर को हुई जिसमें प्रथम दिन राज्य स्तरीय बालरंग हुआ। समापन 21 दिसम्बर को होगा।

मंत्री द्वारा प्रदर्शनी का अवलोकन

स्कूल शिक्षा मंत्री कुंवर विजय शाह ने 'बाल अधिकार के प्रति संचेतना' चित्रकला प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। इसमें बच्चों की 55 पेंटिंग प्रदर्शित की गई है। मंत्री कुंवर शाह ने बच्चों की परिकल्पनाओं की सराहना करते हुए कहा कि इनको संग्रहीत कर पुस्तक या कलेण्डर का रूप दिया जाना चाहिये। कुंवर शाह ने कहा कि बालरंग को अगले साल और बड़ा रूप दिया जायेगा।

समर्थ भारत प्रदर्शनी

आयोजन स्थल पर 'समर्थ भारत प्रदर्शनी' भी लगाई गई है। इसमें बाल संसद, इंडियन आर्मी, भारत की नदियाँ, बाल संरक्षण आयोग, मध्यप्रदेश कृषि क्रांति, हैप्पीनेस इंडिया, कैरियर कांउसिलिंग, आदर्श ग्राम, ग्लोबल वार्मिंग, स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारत, हेरीटेज मध्यप्रदेश, डिजिटल इंडिया, सेव टाइगर-सेव फारेस्ट, चिल्ड्रन बैंक, स्पोर्टस क्लब, बाल न्यायालय, आपदा प्रबंधन, महिला सशक्तिकरण, बाल पुलिस, ट्रेफिक पुलिस, समावेशी शिक्षा, मंगलयान, निर्वाचन प्रक्रिया, चलित प्रयोगशाला, क्रिएटिव क्राफ्ट, जैव-विविधता आदि विभिन्न थीम दी गई हैं।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश