Posted on 07 Aug, 2021 11:02 am

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि सरकारों द्वारा विकास और जन-कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाओं की प्रभावशीलता का निरंतर मूल्यांकन और उनमें सुधार आवश्यक है, अन्यथा सरकारें वास्तविकता से अनजान बनी रहेंगी। विकास का प्रकाश जब तक गरीब तक नहीं पहुँचता तब तक विकास बेमानी है। मुख्यमंत्री श्री चौहान नीति आयोग तथा अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान के बीच संस्थागत सहभागिता के लिए मिंटो हॉल में आयोजित एमओयू हस्ताक्षर कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

सहकारिता मंत्री श्री अरविंद सिंह भदौरिया, नीति आयोग के उपाध्यक्ष श्री राजीव कुमार, मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस, सुशासन संस्थान के उपाध्यक्ष डॉ. सचिन चतुर्वेदी कार्यक्रम में उपस्थित थे। विभिन्न विश्वविद्यालयों तथा शोध संस्थानों के प्रतिनिधि भी सम्मिलित हुए।

देश की ताकत राज्यों में  निहित 

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने "एक भारत-श्रेष्ठ भारत" का नारा देते हुए गौरवशाली, वैभवशाली, सम्पन्न और समृद्ध भारत का स्वप्न देखा। उनका विश्वास था की देश की ताकत राज्यों में  निहित है। इसके आधार पर सहयोगी संघवाद के विचार को क्रियान्वित करने के लिए नीति आयोग की अवधारणा अस्तित्व में आई। यह एक ऐसा मंच है जहाँ विषय-विशेषज्ञ विभिन्न विषयों, समस्याओं पर विचार करते हैं और उसके प्रभावी और व्यावहारिक समाधानों के क्रियान्वयन का मार्ग प्रशस्त होता है।

नीति आयोग के सहयोग से सुशासन संस्थान प्रभावी कार्य करेगा 

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने लाड़ली लक्ष्मी योजना, बालिकाओं को साइकिल प्रदाय के लिए संचालित योजना और सिटीजन चार्टर के समय-सीमा में पालन का उल्लेख करते हुए कहा कि योजनाओं की प्रभावशीलता के व्यवहारिक मूल्यांकन से योजनाओं को निरंतर बेहतर, जनोन्मुखी और विकासोन्मुखी बनाये रखने में मदद मिलती है। इन गतिविधियों में नीति आयोग के सहयोग और मार्गदर्शन से सुशासन संस्थान अधिक प्रभावी तरीके से कार्य करेगा। आज एमओयू पर हस्ताक्षर हुए हैं, यह दिन प्रदेश के विकास के लिए ऐतिहासिक सिद्ध होगा।   

जन-भागीदारी प्रभावी मॉडल है 

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने जन-भागीदारी मॉडल से कोरोना नियंत्रण तथा टीकाकरण अभियान के संचालन और स्व-सहायता समूहों की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रदेश में  सभी क्षेत्रों में राज्य सरकार जनता को साथ लेकर योजनाओं का क्रियान्वियन कर रही है । कृषि में उत्पादन पर्याप्त है। अब हमें फूड प्रोसेसिंग की तरफ बढ़ना है। कोरोना के परिणामस्वरूप योग और आयुर्वेद में बढ़ती जन-सामान्य की रूचि से प्रदेश में जड़ी-बूटियों की खेती और व्यापार के नये अवसर निर्मित हुए हैं। इस दिशा में भी राज्य सरकार कार्यरत है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आत्म-निर्भर भारत के लिए आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश हमारा संकल्प है। आज हस्ताक्षरित एमओयू हमें नई ऊर्जा प्रदान करेगा।

विकास, पर्यावरण और सामाजिक समग्रता को साथ लेकर चलना

नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने कहा कि विकास, पर्यावरण और सामाजिक समग्रता को साथ लेकर चलना चुनौतीपूर्ण है। शासन द्वारा जन-सामान्य को उपलब्ध कराई जा रही सेवाओं की जनता तक सहज और सरल पहुँच सुनिश्चित करने के लिए योजनाओं की आउट कम और आउट पुट आधारित व्यवस्था स्थापित करना आवश्यक है। प्रदेश में मुख्यमंत्री श्री  चौहान द्वारा वृक्षारोपण के लिए की जा रही पहल की सराहना करते हुए डॉ. राजीव कुमार ने कहा कि इससे जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों के विरूद्ध समाज को जागरूक करने में मदद मिलेगी। डॉ. कुमार ने रसायनमुक्त कृषि को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता बताई।

सहकारिता एवं लोक प्रबंधन मंत्री श्री अरविंद सिंह भदौरिया ने कहा कि सुशासन संस्थान की स्थापना वर्ष 2007 में की गई। संस्थान ने लोक सेवा गारंटी अधिनियम बनाने सहित अनेक महत्वपूर्ण कार्य किये हैं। नीति आयोग के साथ होने वाली संस्थागत सहभागिता से जनोन्मुखी योजनाएँ बनाने में मदद मिलेगी।

अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान के उपाध्यक्ष प्रो. सचिन चतुर्वेदी ने कहा कि देश के विभिन्न राज्यों में इस तरह के संस्थान खुले हैं, लेकिन यह एकमात्र ऐसा संस्थान है, जिसे राज्य पूरा बजट दे रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लॉजिस्टिक हब बनने की पूरी संभावनाएँ हैं। उन्होंने ग्लोबल स्किल पार्क के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि रिसर्च को बढ़ावा देने के लिये विभिन्न उत्कृष्ट शैक्षणिक संस्थानों से एमओयू किये गये हैं। प्रो. चतुर्वेदी ने कहा कि सुशासन संस्थान और नीति आयोग अपनी बेस्ट प्रेक्टिसेस को शेयर करेंगे।

कार्यक्रम में नीति आयोग के डेव्हलपमेंट मॉनीटरिंग एण्ड इवैल्यूएशन संगठन के साथ अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विशलेषण संस्थान का एमओयू हस्ताक्षरित किया गया।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश