Posted on 15 Mar, 2018 7:48 pm

 

मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी भोपाल के संयोजन में प्रदेश के युवा रचनाकारों की दो दिवसीय सृजनात्मक कार्यशाला का शुभारंभ गुरुवार को राज्य संग्रहालय, श्यामला हिल्स में प्रमुख सचिव संस्कृति विभाग, श्री मनोज श्रीवास्तव ने किया। उद्घाटन सत्र में श्री मनोज श्रीवास्तव ने युवा रचनाकारों से कहा कि रचनाकारों के पास ज्ञान के साथ साहस का होना बहुत जरुरी है। लेखन में दृष्टि मौलिक होना चाहिये। साथ ही, प्रामाणिकता भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अतीत से संवाद स्थापित करके ही वर्तमान में लेखन करना चाहिए। सत्र की अध्यक्षता प्रो. कृष्णकांत चतुर्वेदी ने की। उन्होंने कहा कि विश्व की चेतना के साथ वार्तालाप करने से ही परिवर्तन संभव होता है।

दोपहर में हुए द्वितीय सत्र में आईसेक्ट विश्वविद्यालय भोपाल के कुलाधिपति श्री संतोष चौब ने कहा कि कथाएँ स्थानीय जीवन से प्रभावित होती हैं। कलम चलाते समय दष्टि रचनाकार की स्वयं की होना चाहिए। आज के तृतीय सत्र में मुख्य वक्ता डॉ. श्याम सुंदर दुबे ने कहा कि निबंध लेखन को प्राथमिकता मिलना चाहिए। निबंध और ललित निबंध अलग- अलग विधा हैं। आज के चतुर्थ सत्र में ' बात साहित्य' विषय पर श्री महेश सक्सेना ने मार्गदर्शन दिया। साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. उमेश कुमार सिंह ने कार्यशाला की उपयोगिता को रेखांकित किया।

कार्यशाला का समापन शुक्रवार 16 मार्च को होगा। सामाजिक न्याय विभाग के आयुक्त श्री अशोक शाह समापन सत्र में मुख्य अतिथि होंगे।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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