Posted on 01 Jan, 2017 12:08 pm

भोपाल : रविवार, जनवरी 1, 2017, 20:52 IST
 

ग्राम चरगवां में नर्मदा सेवा यात्रा का भव्य स्वागत किया गया। धर्मशाला में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ऐलक श्री 105 नम्र सागरजी महाराज ने राज्य शासन की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह नदी बचाओ ही नहीं अपितु हमारे जिंदा रहने का आंदोलन है। नदियों को मातृतुल्य सम्मान देने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि नदियों के जल पर ही हमारा जीवन निर्भर है। आचार्यश्री ने कहा कि माँ का दूध और नर्मदा का जल एक बराबर है। हमें नदियों को साफ रखने की कसम लेनी चाहिए। इनमें पाउच, गंदगी, पॉलीथिन एवं अन्य कचरा नहीं डालना चाहिए। जब भी कहीं नदी दिखे तो ये समझें कि मेरी माँ जा रही है।

श्री नम्र सागर जी महाराज ने आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि आचार्य श्री ने धरती पर थूकने का त्याग किया है। श्रद्धालुओं ने आचार्य श्री से पूछा कि आप धरती पर क्यों नहीं थूकते? आचार्य श्री बोले- जब हम धरती को माँ मानते हैं, तो क्या कोई बेटा अपनी माँ पर थूकेगा?

श्री नम्र सागर जी ने कहा कि नर्मदा को अपनी माँ समान ही सम्मान दे। विश्व में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जिसे हम माँ कहते हैं। उन्होंने कहा कि :- हर नदी तट पर शंख बजे और हो संतों का डेरा, तन-मन-धन से सदा सुखी हो भारत देश हमारा। आचार्य श्री ने कहा कि हर 10 किलोमीटर की दूरी पर तपोवन बनाये जाने चाहिए, जहाँ रहकर साधु-संत, ऋषि-मुनि लोगों को आदर्श आचरण की प्रेरणा दे सके।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश