Posted on 14 May, 2017 7:58 pm

भोपाल : रविवार, मई 14, 2017, 19:15 IST
 

विश्व के अनूठे नदी और जल संरक्षण अभियान में तब्दील 'नमामि देवि नर्मदे' सेवा यात्रा ने न केवल सेवा यात्रियों बल्कि नर्मदा किनारे के गाँवों के लोगों को भी बदल दिया है। अब उनमें नर्मदा नदी के संरक्षण और उसे प्रदूषण मुक्त बनाने की भावना ने उदात्त रूप ले लिया है। ग्रामीण इस उदात्त भावना को पैदा करने के लिये मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान का आभार व्यक्त करते हैं, जिन्होंने नर्मदा यात्रा संचालित कर उन्हें जागरूक किया।

यात्रा की 146 दिनों की अवधि में ग्रामीणों की यह भावना बार-बार प्रकट हुई । यात्रा के प्रति कर्त्तव्य बोध भी। सबसे बड़ी बात उन्हें यह साल रही थी कि यह विचार उन्हें पहले क्यों नहीं आया। फिर जैसा होता है 'जब जागो तब ही सबेरा' के भाव से वे नर्मदा संरक्षण के लिये समर्पित हो रहे हैं। हर गाँव में नर्मदा सेवा समिति का सदस्य बनने की होड़ लगी हुई है।

अप्रैल-मई की भीषण गर्मी में यात्रा में शामिल होने वाले नर्मदा के दोनों तट के 16 जिलों के रहवासियों को अब इंतजार है नर्मदा सेवा समिति सदस्यों के रूप में उन्हें सौंपे जाने वाले कार्यों का।

जुग-जुग जिये मेरा शिवराज बेटा

नर्मदा सेवा यात्रा में शामिल सैकड़ों यात्रियों में से एक है भूरिया बाई, जो मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को हर पल-हर दिन दुआएँ देती हैं। भूरिया बाई बताती हैं कि 90 वर्ष की उम्र हो जाने तक उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि वे नर्मदा के उत्तरी और दक्षिणी तटों की परिक्रमा कर सकेंगी। नर्मदा सेवा यात्रा में शुरू से ही साथ चल रही भूरिया बाई बताती है कि वर्षों से होशंगाबाद जिले के सिवनी-मालवा क्षेत्र के ग्राम मकड़ाई में रहने के कारण उनकी माँ नर्मदा के प्रति तो अगाध श्रद्धा थी, पर पारिवारिक जिम्मेदारियों और गरीबी के कारण नर्मदा परिक्रमा की इच्छा होते हुए भी वे कभी परिक्रमा नहीं कर सकी।

भूरिया बाई बताती है कि नर्मदा सेवा यात्रा से उनका जीवन धन्य हो गया है। पिछले 5 माह से हर दिन माँ नर्मदा के दर्शन वे कर रही हैं। यात्रा के दौरान उन्हें खाने-पीने और रहने की कोई चिंता नहीं रही। यात्रा में फुर्सत के क्षणों में वे राम-नाम लेखन का पुण्य भी कमा रही हैं।

भूरिया बाई ने खुशी-खुशी बताया कि जब वे यात्रा में शामिल हुई थी, तो सोचा भी नहीं था कि वे पूरे 5 माह तक यात्रा के साथ चलकर अमरकंटक तक वापस पहुँचेगी। उन्हें डर था कि उम्र ज्यादा होने के कारण उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्या आ सकती है। भूरिया बाई बताती हैं कि उन्होंने बचपन में बुजुर्गों से सुना था कि नर्मदा मैया के एक बार दर्शन से जीवन धन्य हो जाता है। मैं सौभाग्यशाली हूँ कि मुझे 5 माह से रोजाना सुबह नर्मदा माँ के दर्शन हो रहे हैं।

यात्रा से जीवन धन्य हो गया

नर्मदा सेवा यात्रा में लगभग 200 यात्री ऐसे हैं, जो अमरकंटक से गत 11 दिसम्बर से ही साथ चल रहे हैं। यात्रा के समापन चरण में भी उनके उत्साह में कोई कमी नहीं आयी है।

डिंडौरी जिले के ग्राम टिकरिया निवासी परसोती लाल बताते हैं कि गत 5 माह से वे लगातार हर दिन सुबह माँ नर्मदा के आँचल को साफ रखने के लिए ग्रामीणजन को प्रेरित कर उनके साथ श्रमदान करते हैं। इस दौरान नर्मदा तट पर पड़ी पॉलीथिन की थैलियों, डिस्पोजल गिलास, प्लेटें, गंदे कपड़े, पूजा की पुरानी सामग्री को वहाँ से हटाते हैं। इसके अलावा यात्रा में शामिल सुखिया बाई, प्रेमबाई, बंदू बाई, कमलिया बाई, छोटी बाई, कौशल्या बाई सभी बताती हैं कि नर्मदा सेवा यात्रा में शामिल होकर हमारा तो जीवन धन्य हो गया। सुखिया बाई कहती हैं कि गत 5 माह में प्रदेश के 16 जिलों में जाकर माँ नर्मदा के दोनों तटों पर साफ-सफाई व अन्य सेवा कर जो आनंद मिला, उसे शब्दों में नहीं बताया जा सकता। इस यात्रा के दौरान हर दिन ''राम'' नाम लेखन करना लगभग सभी यात्रियों की नियमित दिनचर्या में शामिल है।

सागर जिले की बंडा तहसील के ग्राम चकेरी निवासी रामदास बाबा पूरी यात्रा के दौरान बस में बैठकर दिन-रात माला फेरते रहते हैं। वे बताते हैं कि गत 5 माह में गुरु मंत्र की लाखों माला फेर चुके हैं, जो घर में या आश्रम में सम्भव नहीं था। रामदास बाबा कहते हैं कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा नर्मदा सेवा यात्रा करने का निर्णय एक ऐतिहासिक कदम है। इस यात्रा ने प्रदेश एवं देश के करोड़ों लोगों को नदी संरक्षण व पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सोचने के लिए प्रेरित किया है।

यात्रा में शामिल देवास जिले के श्री अमर सिंह बताते हैं कि हम लोग रोजाना सुबह नर्मदा तट पर जाकर वहां साबुन लगाकर नहाने वाले व कपड़े धोने वालों को समझाइश देकर ऐसा करने से रोकते हैं। नर्मदा तट के आस-पास शौच करने वालों को डाँट-डपट कर वहाँ से भगाते हैं। डिंडौरी जिले के ग्राम डाडबिछिया निवासी उत्तम सिंह कहते हैं कि ऐसी यात्रा अब तक न हुई, न होगी। उन्होंने बताया कि यात्रा के दौरान मंडला जिले में नर्मदा तट पर स्थित ग्वारी ग्राम में उन्हें गर्म पानी का कुंड देखने को भी मिला, ऐसा कुंड आज तक कभी देखा नहीं था।

सिवनी जिले के भोमा कस्बे के निवासी श्री समता लाल साहू ने बताया कि पहले भी वे एक बार पद यात्रा करके माँ नर्मदा की परिक्रमा कर चुके हैं, पर इस बार जो आनंद की अनुभूति हुई, वैसी पहले कभी नहीं हुई। उन्होंने बताया कि माँ नर्मदा का जल औषधि गुणों से युक्त है। पिछली पद यात्रा में नदी तट पर फिसल जाने से पैर में चोट लग गई थी, तो पास में दवा न होने से पूरी श्रद्धा के साथ माँ नर्मदा का जल चोट पर लगाया, तो कुछ ही दिन में चोट ठीक हो गई।

सिवनी जिले की घन्सौर तहसील के ग्राम तारागढ़ निवासी श्री पुरुषोत्तम गिरि ने बताया कि वे पहले भी तीन साल, तीन माह, 13 दिन की नर्मदा परिक्रमा अमरकंटक से गुजरात के भरूच तक कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि यात्रा के दौरान नर्मदा तट पर बड़े वृक्षों की जड़ों द्वारा पानी सहेजने की बात साक्षात् अनुभव की। वे जब भी नदी किनारे वट वृक्ष के नीचे बैठते थे, तो वहाँ की मिट्टी में काफी नमी अनुभव हुई। जमीन को जब थोड़ा सा कुरेदा तो पानी के बुलबुले फूटते हुए देखे। पुरुषोत्तम गिरि कहते हैं कि नर्मदा किनारे वृक्ष लगाकर ही नदी में जल संवर्धन किया जा सकता है।

सेवा यात्रियों की बस चला रहे हैं हाजी नफीस अहमद

भोपाल के पुतलीघर निवासी हाजी नफीस अहमद पिछले 146 दिन से लगातार नर्मदा सेवा यात्रियों की बस चला रहे हैं। विगत 9 दिसम्बर को वे भोपाल से बस क्रमांक-एमपी 04 -पीए-1839 लेकर अमरकंटक निकले थे और 11 दिसम्बर से यात्रा शुरू होने से लेकर अब तक अपनी ड्यूटी पर तैनात हैं।

'नमामि देवि नर्मदे'' की नीली शर्ट पहने हाजी नफीस अहमद स्वयं को सौभाग्यशाली मानते हैं, जिन्हें नर्मदा सेवा यात्रियों की सेवा करने का मौका मिला। वे इस बात से भी बेहद खुश है कि मुख्यमंत्री श्री चौहान उनसे 3 बार हाथ मिलाकर उत्साहवर्धन कर चुके हैं। स्वामी अखिलेश्वरानंद महाराज भी उन्हें 'भाईजान' से संबोधित करते हैं। उनकी बस में सवार होने वाले नर्मदा सेवा यात्रियों से उन्हें भरपूर प्रेम, स्नेह एवं पारिवारिक माहौल मिला है। यही वजह है कि वे लगातार यात्रा में शामिल हैं, जबकि दूसरी बस के ड्रायवर तीन बार बदले जा चुके हैं।

हाजी नफीस अहमद का कहना है कि जल है तो ही सबका जीवन है। जल को बचाने के इस महा-अभियान में सभी वर्ग के लोगों को आगे आना होगा, चाहे वे किसी भी जाति के क्यों न हों।

नर्मदा तटों का परिदृश्य बदला

नर्मदा सेवा यात्रा जैसे-जैसे अपने अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रही है वैसे-वैसे नर्मदा तटों का नजारा भी बदला-बदला दिख रहा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा यात्रा के विभिन्न स्थान पर नागरिकों को दिलवाये गये संकल्प और आव्हान का ही असर है कि अब नर्मदा तटों पर विसर्जन-कुण्ड, स्वच्छता, महिलाओं के लिए चेंजिंग रूम बन गये हैं। ऐसा ही एक दृश्य डिण्डौरी जिले के जोगी टिकरिया घाट पर देखने को मिला। यहाँ घाट के सौंदर्यीकरण के साथ भक्तों के बैठने के लिए सीमेंट युक्त कुर्सियाँ, विसर्जन कुण्ड, चेंजिंग रूम बन चुके हैं, और साफ-सफाई एवं वृक्षारोपण को लेकर प्रेरक दीवार लेखन किया गया  है।

78 साल की उम्र में श्री सरदार कर रहे साइकिल से यात्रा

नाम श्री सरदार पेशा बँटिया से खेती-किसानी, उम्र 78 वर्ष और हौसले-बुलंद। बुलंद भी ऐसे कि अपनी 20-25 साल पुरानी साइकिल लेकर निकल गये नर्मदा सेवा-यात्रा में। नर्मदा मैया के प्रति अगाध श्रद्धा और विश्वास रखने वाले सीहोर जिले के इछावर तहसील के ग्राम काकड़खेड़ा माता निवासी श्री सरदार शुरू से ही नर्मदा नदी के प्रति गहरी आस्था रखते आए हैं।

मुख्यमंत्री श्री चौहन द्वारा शुरू की गई 'नमामि देवी नर्मदे'-सेवा-यात्रा को वे नदियों के संरक्षण की दिशा में एक बड़ी पहल बताते हैं। श्री सरदार का कहना है कि यात्रा नदी को बचाने का महाकुंभ है, जिसमें उन्हें शामिल होने का मौका मिला है। श्री सरदार नर्मदा सेवा-यात्रियों के लिए की गई व्यवस्थाओं से भी संतुष्ट हैं। जब यात्रा किसी गाँव में दोपहर भोजन के बाद विश्राम कर रही होती है, तो वे साइकिल से अगले पड़ाव की ओर निकल जाते हैं।

पर्यावरण, मद्य निषेध, बेटी बचाओ, जल-संरक्षण का अर्थ जानने लगे ग्रामीण

“नमामि देवी नर्मदे”-सेवा यात्रा की मूल भावना को ग्रामवासी न सिर्फ समझ रहे हैं, बल्कि उसके अनुरूप अपनी भूमिका का निर्धारण भी कर रहे हैं। नरसिंहपुर जिले के ग्राम हीरापुर में कुछ ग्रामवासियों से बातचीत के दौरान यह जानने को मिला कि “नर्मदा सेवा यात्रा” एक कल्याणकारी सोच का परिणाम है। जिले के ग्राम तेन्दूखेड़ा के एक मजदूर खेमचंद से चर्चा करने पर पता चला कि वह इस यात्रा के उद्देश्य नदी स्वच्छता की भावना को खूब समझता है। खेमचंद के ही शब्दों में – “जा नदी साफ रऐगी तो हमीईरे काम आएगी।” जिले के ही ग्राम टपरिया टर्रा के कृषक रामप्रसाद ने कहा कि “नर्मदा सेवा यात्रा” बहुत सारे पेड़ लगवाने के लिए हो रही है। बातचीत में रामप्रसाद सुझाव भी देते हैं कि फलदार पेड़ ज्यादा लगाए जाएं।

ग्राम हीरापुर में खेती-किसानी का कार्य करने वाले ओमकार ने बताया कि “नर्मदा मैया को ठीक-ठाक रखने के लिए गाँव-गाँव जाकर समझाइश दी जा रही है।” ग्रामवासियों से बातचीत में यह बात उभरकर सामने आई कि वे पर्यावरण, मद्य निषेध, बेटी बचाओ और जल संरक्षण का अर्थ जानने लगे हैं।

साम्प्रदायिक एकता का प्रतीक बनी यात्रा

नर्मदा सेवा यात्रा साम्प्रदायिक एकता का भी अद्धितीय उदाहरण बन गयी है। ग्रामीण अंचलों में यात्रा के भ्रमण के दौरान सभी जाति, धर्म, सम्प्रदाय के, महिला, पुरूष, बच्चे बिना भेदभाव के अपनी सहभागिता निभा रहे हैं।

अनूपपुर जिले के ग्राम पंचायत फरहदा में जब नर्मदा सेवा यात्रा पहुँची तो मुस्लिम भाइयों ने आगे बढ़कर ध्वज थामा। इतना ही नही नर्मदा सेवा यात्रा के संकल्पों क्रमश: वृक्षारोपण, पर्यावरण संरक्षण, जैविक खेती, बेटी बचाओ अभियान, स्कूल चलें हम अभियान के प्रति अपनी आस्था प्रकट करते हुए, दोनों हाथ उठाकर संकल्प लेने वालों में मुस्लिम समुदाय के लोग सबसे आगे थे। ग्राम फरहदा में छोटी सी किराने की दुकान करने वाली 35 वर्षीय शाहिदा बेगम ने कहा कि प्रदेश सरकार का यह अभियान जल-संरक्षण के लिए आम जन को जोड़ने वाला अभियान है। उनके पति मोहम्मद दाहिम खान ने कहा कि इस यात्रा से स्वच्छता तथा वृक्षारोपण के संबंध में जो जानकारी मिली है, उसका अनुकरण मैं स्वयं करूँगा तथा अन्य लोगों भी प्रेरित करूँगा। यह तो एक उदाहरण मात्र है, यात्रा के 147 दिनों के आज तक के सफर में अनेक गाँव में ऐसे उदाहरण मिले, जब लोगों ने धर्म, जाति, सम्प्रदाय से परे यात्रा की भावना को समझकर उसमें हिस्सा लिया। इन लोगों का खासकर यात्रा में शामिल होने वाले मुस्लिम धर्मावलंबियों का कहना था कि पानी का कोई जाति, धर्म नहीं है। नर्मदा माँ सबके कंठों की, सबके खेतों की की प्यास बुझाती है और सभी घरों को रोशन करती है।

कलश के लिए मचली नाजनीन को देना पड़ा नया कलश

बड़वानी जिले के ग्राम गोलाटा में ''नमामि देवी नर्मदे''-सेवा यात्रा के साथ चल रहे श्रद्धालु उस वक्त आश्चर्य में पड़ गये जब उन्होंने अपने स्वागत एवं सत्कार के लिये ग्रामीणों द्वारा दिये गये फल एवं मिठाई को एक छोटी बच्ची को देकर चुप करवाने का प्रयास किया और बच्ची ने उसे लेने से इंकार कर दिया। कारण जानने पर ज्ञात हुआ कि बच्ची का नाम नाजनीन खान है और वह अपने घर से कलश लेकर श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए आई थी। किसी अन्य बालिका ने उसका कलश लेकर अपने सिर पर रख लिया, जिसके कारण वह बिना कलश के हो गई। यात्रा के साथ चल रहे क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता श्री सुखदेव यादव ने तत्काल एक कलश बुलाकर कुमारी नाजनीन खान को स-सम्मान दिया। नाजनीन खुशी-खुशी सेवा यात्रा में कलश लेकर शामिल हुईं।

नर्मदा मैया से जुड़ी जैव-विविधता की वापसी के प्रयत्न होंगे

मुख्यमंत्री श्री चौहान के अनुसार नर्मदा नदी के तटों पर एक समय ऐसी उपयोगी घास की प्रजातियाँ हुआ करती थीं, जो पशु चारे के लिए उपयोग में लाई जाती थी। यह प्रदेश की जैव-विविधता का एक विशिष्ट उदाहरण भी था। इस विशिष्टता को पुनः हासिल करने के लिए राज्य सरकार आवश्यक कदम उठा रही है। इस उद्देश्य से नदी के संरक्षण, वानस्‍पतिक एवं जल संरक्षण की प्राचीन पारम्‍परिक पद्धति का संकलन एवं दस्‍तावेजीकरण का कार्य मध्‍यप्रदेश कांउसिल ऑफ साइंस एण्‍ड टेक्‍नॉलाजी के माध्‍यम से नेशनल इनोवेटिव फाउंडेशन अहमदाबाद द्वारा किया जा रहा है।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश