Posted on 30 Aug, 2018 2:48 pm

रतलाम जिले के ग्राम सिमलावदा के युवा किसान बिहारीलाल पाटीदार मुनाफे की खेती करना जानते हैं। उन्हें खेती में घाटा नहीं होता, क्योंकि वे खेती मेंपरम्पराओं से नहीं बँधते हुए नई-नई तकनीकों को अमल में लाते हैं। किसान बिहारीलाल सीखने के लिये दूर साउथ इण्डिया में भी जाना हो, तो घबराते नहीं हैं। बी.कॉम बिहारीलाल ने राज्य सरकार द्वारा दी गई मदद और अपनी मेहनत के बलबूते पर खेती को फायदे के धँधे में बदल दिया है। ये गाँव के अत्यंत प्रगतिशील किसानों में गिने जाते हैं।

किसान बिहारीलाल के पास वर्तमान में 4000 वर्ग मीटर में पॉली-हाउस है। इनके पास 2,500 वर्ग मीटर में नेट-हाउस भी है। अभी उनके खेत में खीरा लगा है। इन्होंने पॉली-हाउस में गुलाब की डचरोज किस्म लगाई है। गुलाब की यह किस्म पूना से लाये हैं। बिहारीलाल पिछले 4 वर्ष से स्ट्रॉबेरी की फसल भी ले रहे हैं। नई-नई फसल लेने में विश्वास रखते हैं। इन्होंने अपनी 6 एकड़ भूमि में एप्पल बेर भी लगाये हैं। फसलों के संबंध में उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से लगातार चर्चा करते हैं। इन्हें विभागीय अधिकारियों ने देश के विभिन्न प्रांतों में उद्यानिकी फसल के अध्ययन के लिये अनेकों बार भेजा है। इन्होंने महाराष्ट्र में सतारा जाकर स्ट्रॉबेरी और तामिलनाडु में कोयम्बटूर जाकर लहसुन की वेरायटी के बारे में अध्ययन किया है। इसके अलावा इन्होंने हरियाणा, पंजाब आदि क्षेत्रों का भी कृषि अध्ययन दौरा किया है।

युवा किसान बिहारीलाल को उद्यानिकी विभाग की पॉली-हाउस और नेट-हाउस की योजना में 50 प्रतिशत तक सब्सिडी का लाभ भी मिला है। कृषि के क्षेत्र में लगातार हो रहे बदलाव के दौर में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं, अब खेती इनके लिये फायदे का धँधा बन गया है। इन्होंने स्वयं अपने क्षेत्र के 10-12 किसानों को नो प्राफिट-नो लॉस के पर पॉली-हाउस बनाकर दिये हैं।

सक्सेस स्टोरी (रतलाम)

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश​​

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