Posted on 11 Aug, 2018 10:48 am

 

ग्वालियर की रमाबाई ने बचपन में मूर्ति बनाने का जो हुनर खेल-खेल में सीखा था, वही आगे जाकर रोजी-रोटी का सहारा बन गया है। मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना से मिली आर्थिक सहायता से रमाबाई ने मूर्ति बनाने का व्यावसायिक काम शुरू किया है।

रमाबाई को पति के देहांत के बाद घर-गृहस्थी चलाने में बहुत दिक्कत आने लगी थी। वह स्वयं कुछ नहीं सोच पा रही थी। जब उसे दीनदयाल अंत्योदय योजना में गरीबों को स्व-रोजगार के लिए ऋण दिए जाने की जानकारी मिली, तो रमाबाई को उम्मीद बढ़ गई कि अब वह आसानी से अपना परिवार पाल सकेगी। नगर निगम और बैंक के माध्यम से 'मूर्ति निर्माण' के काम को व्यावसायिक रूप प्रदान करने के लिये 2 लाख रूपये ऋण स्वीकृत हुआ। इसमें 40 हजार का अनुदान भी मिला है।

रमाबाई की बनाई खूबसूरत मूर्तियों की आज नगर, गाँव में बहुत माँग है। वह केवल देवी-देवताओं की मूर्ति ही बना रही है। इससे उसे इतनी आय हो रही है कि बैंक की किश्त के बाद खुशी-खुशी जीवन-बसर कर सके।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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