Posted on 01 Jun, 2018 5:56 pm

 

खंडवा के सिंघाड़ तलाई मोहल्ला निवास विकास साल्वे ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री लेने के बाद मुख्यमंत्री युवा स्व-रोजगार योजना में मिली 6 लाख रुपये की मदद से कम्प्यूटर ट्रेनिंग सेंटर प्रारंभ कर दिया है। इससे उन्हें नियमित आय होने लगी और वह अपनी आय से बैंक ऋण की किश्त भी नियमित रूप से चुका रहा है। विकास बताता है कि उसे इस योजना में 1.64 लाख रुपये अनुदान स्वरूप मिलने से काफी आर्थिक राहत मिली है।

हरदा जिले के खिरकिया विकासखंड निवासी राजकुमार छलोत्रे ने बताया कि इंजीनियरिंग होने के पश्चात मुझे जॉब नहीं मिल रहा था, फिर मैंने घर पर एक छोटा टेंट हाउस खोला जिससे मुझे आगे बढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ। उन्होंने जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र हरदा से जानकारी प्राप्त कर बैंक ऋण के लिए आवेदन किया। योजना के तहत बैंक ऑफ बड़ोदा खिरकिया द्वारा उन्हें 8 लाख रुपये का ऋण दिया गया। इससे उन्होंने जनरेटर एवं टेन्ट हाउस के लिए सामग्री खरीदी। वर्तमान में एक टेन्ट हाउस का संचालन कर 4 व्यक्तियों को रोजगार दे रहे हैं। अब वे लगभग तीस हजार रुपये मासिक आय प्राप्त कर रहे हैं।

भोपाल के शाहपुरा निवासी श्री निखलेश पुत्र अहिरवार, मकान नंबर 228 भारत नगर वर्तमान में बतौर एक सफल व्यवसायी के रूप में नॉन बूवन बैग निर्माण की औद्योगिक इकाई विधा इंटरप्राइजेस के नाम से संचालित कर रहे हैं। निखलेख बताते हैं कि ये सब संभव हुआ 'मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना' की मदद से निखलेश ने बताया कि पहले वे प्राइवेट जॉब करते थे।

निखलेश ने कहा कि मैं स्वयं का व्यवसाय करना चाहता था, किन्तु पूँजी के अभाव में ऐसा संभव नहीं हो पा रहा था। मुझे जिला उद्योग केन्द्र के द्वारा संचालित प्रशिक्षण शिविर में मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना की जानकारी मिली। मैंने स्वयं का व्यवसाय आरंभ करने के लिये जिला अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति के माध्यम से 39.10 लाख रुपये के ऋण के लिए आवेदन किया। वांछित ऋण राशि मय सब्सिडी के प्राप्त हुई। आज एक सफल व्यवसायी के रूप मेरा नाम है और मैं 7-8 युवाओं को रोजगार भी दे रहा हूँ।

मुरैना के दुर्गापुरी कालोनी निवासी राजकुमार प्रजापति को आदिम जाति कल्याण विभाग को मुख्य मंत्री कल्याण योजना से एक लाख 80 हजार रुपये का ऋण मिला। ऋण मिलते ही राजकुमार ने ई-रिक्श खरीद लिया। राजकुमार ई-रिक्शा चलाता रहा और समय पर बैंक की किश्त जमा करता रहा। बैक में आधी किश्त जमा होने पर राजकुमार को बैंक ने दूसरे ई-रिक्शा के लिए ऋण स्वीकृत कर दिया। लगातार दोनों रिक्शों की किश्त जमा करने पर बैंक द्वारा तीसरा रिक्शा भी उसे स्वीकृत कर दिया।

अब तो राजकुमार प्रजापति 3 ई-रिक्श का मालिक बन गया है। राजकुमार ने 3 रिक्शों को चलाने के लिए अन्य युवाओं को ई-रिक्शा चलाने के लिए रख लिया है। राजकुमार तीनों ई-रिक्शों की 12 हजार रुपये प्रति माह किश्त भरने के बाद लगभग 25 हजार रुपये प्रतिमाह कमाने लगे हैं। जब पैसे की आमदनी अच्छी हुई तो समाज के लोग सगाई के लिए आने लगे और राजकुमार की अच्छे परिवार में शादी हो गई।


सक्सेस स्टोरी (खंडवा, हरदा,भोपाल,मुरैना)

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश