Posted on 10 Oct, 2017 5:44 pm

भोपाल : मंगलवार, अक्टूबर 10, 2017
 

ग्वालियर निवासी दिहाड़ी श्रमिक सोनू प्रजापति के आंगन में जब फूल सी बिटिया की किलकारी गूँजी, उसने अपनी बिटिया का नाम नेहा रखा। जैसे-जैसे समय गुजरा, नेहा पहले घुटनों के बल चली फिर अपने पैरों पर चली। मगर उसके मूँह से बोल नहीं फूटे। इतना ही नहीं वह किसी की बात भी नहीं सुन पाती थी।

जीवन के पाँच बसंत गुजर जाने के बाद भी नेहा ना तो कुछ बोल पाती थी और ना ही सुन पाती थी। जाहिर सी बात है वह अपने मन की बात किसी से बयां नही कर पाती थी। उसकी अभिव्यक्ति का माध्यम वो चंद इशारे थे, जो उसके माता-पिता ने सिखाए थे।

सोनू दम्पत्ति की चिंतायें बढ़ीं। डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि वह श्रवण बाधित (मूक-बधिर) दिव्यांग है। डॉक्टर ने सलाह दी कि अगर नेहा को कॉक्लियर इम्प्लांट होगा, तो वह सामान्य बच्चों की तरह बोल सकेगी, सुन सकेगी। इसमें साढ़े 6 लाख रूपए का खर्चा आएगा। सोनू के लिये एक दिहाड़ी मजदूर होने के कारण इतनी भारी-भरकम रकम का इंतजाम कर पाना नामुमकिन था।

बात लगभग डेढ़ साल पुरानी है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को प्रचार माध्यमों से नेहा की खबर मिली। उन्होंने तत्काल ग्वालियर कलेक्टर से कहा कि“मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना” के तहत नेहा को कॉक्लीयर इम्प्लांट लगवायें। कलेक्टर ने सोनू से संपर्क कर प्रकरण तैयार कराया और भोपाल के “दिव्य एडवांस ई.एण्ड.टी. क्लीनिक” में नेहा का सफल ऑपरेशन हुआ। नेहा के इलाज पर प्रदेश सरकार ने लगभग साढ़े 6 लाख रूपए खर्च किए।

मुख्यमंत्री श्री चौहान सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल का शिलान्यास करने ग्वालियर आए, तो सोनू अपनी बिटिया को लेकर मुख्यमंत्री के प्रति आभार जताने पहुँचा। मुख्यमंत्री ने नेहा को गोद में उठाकर खूब दुलारा। साथ ही उसे 50 हजार रूपए की आर्थिक सहायता भी दी। सोनू ने यह धनराशि नेहा के नाम से फिक्स डिपोजिट कर दी है।

कॉक्लियर इम्प्लांट के बाद अभी तक सरकारी खर्चे पर ही नेहा की स्पीच थैरेपी चल रही है। सोनू प्रजापति कहते हैं कि मुझे बड़ा अचंभा हुआ जब नेहा ने सबसे पहले जिस शब्द को बोलना शुरू किया, वह था “मामा”। अब वह मम्मी-पापा, पानी, रोटी एवं सब्जी जैसे शब्द बोलने लगी है। नेहा को जिस दिन से मुख्यमंत्री श्री चौहान ने गोद में लिया है तब से वह उन्हें मामा जी के रूप में पहचानती है।

पिछले हफ्ते कलेक्ट्रेट की जन-सुनवाई में सोनू अपनी बिटिया नेहा के साथ पहुँचकर नेहा की स्पीच थैरेपी आगे भी जारी रखने की जरूरत बताई और कलेक्टर से मदद माँगी। कलेक्टर ने जिला दिव्यांग पुनर्वास केन्द्र को नेहा की स्पीच थैरेपी जारी रखने के निर्देश दिए। साथ ही कहा कि नेहा अब सामान्य बालिका नहीं रहेगी। उसे श्रवण बाधित बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिये “ब्राण्ड एम्बेसडर” बनाया जाएगा।

सफलता की कहानी (ग्वालियर)

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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