Posted on 29 Sep, 2017 4:52 pm

 

भोपाल : शुक्रवार, सितम्बर 29, 2017, 20:31 IST

 

विपरीत परिस्थितियों में भारतीय नारी को अपना अस्तित्व बचाये रखना बड़ी चुनौती होती है। इन्दौर की लिली डाबर ने विकट परिस्थितियों का सामना कर जिस तरह समाज में अपना स्थान बनाया है, वह दूसरी महिलाओं के लिये अनुकरणीय है। बहुआयामी प्रतिभा की धनी सुश्री डाबर आज सेवा की मिसाल बन चुकी है। 

शिक्षिका सुश्री लिली डाबर के जीवन में अनेक कठिनाईयां आयी, पर उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने जीवन में आयी बाधाओं को अपने हौसले से पार किया और सेवा की नयी अलख जगायी। वे आज अपनी तनख्वाह का अधिकांश हिस्सा समाज की सेवा में खर्च कर रही है। अपने पति की असामयिक मृत्यु के बाद उन्होंने अकेलेपन तथा सूनेपन को दूर करने के लिये मानव सेवा को अपना ध्येय बनाया। समाज को अपना परिवार बनाया। अपने पति के नाम पर संजय स्पंदन नामक संस्था बनायी। इस संस्था के माध्यम से उन्होंने सामाजिक, मानव सेवा के कार्य हाथ में लिये। अपने वेतन का अधिकांश हिस्सा वह समाज तथा मानव सेवा में कार्यों में खर्च कर रही है।

सुश्री डाबर ने व्यक्तिगत प्रयासो से जरूरतमंद बच्चों की फीस भरने, उन्हें कापी देने, स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन करने, अनाथ बालिकाओं की शादी करने, लावरिश लाशो का दाह संस्कार करने, पर्यावरण के संबंध में जनगागृति लाने, बच्चों की प्रतिभा निखारने सहित पीडित मानवता की सेवा के अनेक प्रकल्प चला रखे है। लिली डाबर नारी सशक्तिकरण एवं सेवा की मिसाल है। वे समाज के लिये प्रेरणा है जिन्होंने अपने जीवन के अकेलेपन को सकारात्मक एवं सशक्त दिशा दी है। उन्होंने अंधेरे में जीने का मार्ग ढूढ़ा तथा अपने जैसी दूसरी महिलाओं को भी जीने की नयी राह दिखायी।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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