Posted on 08 Jun, 2017 6:13 pm

भोपाल : गुरूवार, जून 8, 2017, 17:36 IST
 

भोपाल के गौहर महल में 4 जून से प्रारंभ विक्रय-सह-प्रदर्शनी 'माटी की महक'' प्राचीन भारतीय संस्कृति को आधुनिक रूप में प्रस्तुत करने के कारण आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है। अभिजात्य वर्ग और मिट्टी कलाकारों के बीच का अनोखा रिश्ता बरबस ध्यान खींच लेता है। पुराने रीति-रिवाज जैसे पुनर्जीवित हो उठे हों। उम्रदराज लोग गाँव में नानी-दादी के मिट्टी के बर्तनों में बनाये गये खाने का स्वाद याद कर मिट्टी का तवा, कढ़ाई, भगौना, केसरोल, दही जमाने का बर्तन आदि खरीद रहे हैं। वहीं नौजवानों को मिट्टी की पानी की बॉटल लुभा रही है, जो ईको-फ्रेण्डली होने के साथ प्लास्टिक के दुष्प्रभावों से भी मुक्त है। मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा आदि के कलाकारों ने एक से एक शिल्प प्रदर्शित किये हैं।

बहुत खुश हैं दादी माँ

गौतम नगर की बुजुर्ग महिला श्रीमती शकुन चौबे प्रदर्शनी की तारीफ करते नहीं थकतीं। वह कहती हैं मैंने पूरे परिवार के लिये उपहार लिये हैं यहाँ से। पति को उनकी पसंद का खाना खिलाने के लिये तवा, कढा़ई, बहुओं के लिये मिट्टी की बनी आधुनिक जूलरी, बच्चों के लिये मिट्टी का माउथ-ऑर्गन, सीटी और किचन सेट और अपने लिये पानी की बॉटल, घर के लिये वॉल टाइल।

गोबर क्रॉफ्ट

लोगों की उत्सुकता उन्हें गोबर क्रॉफ्ट स्टॉल पर ले जा रही है। गाय गोबर की प्रोसेसिंग कर बनायी गयी घड़ी, तोरण, अगरबत्ती ईको-फ्रेण्डली होने के साथ ही धार्मिक रूप से उत्कृष्ट है। गोबर, गुग्गुल, चंदन, अगर, तगर आदि से बनी अगरबत्ती से साँस के मरीजों को भी कोई दिक्कत नहीं है। महाराष्ट्र के स्टॉल पर मिट्टी की कर्णप्रिय आवाज वाली पूजा की घंटी और अखण्ड दिया, सुहागपुर के मुखौटे और सजावटी सामान, पिपरिया की श्रीमती प्रेमलता के बनाये डायनासोर, गैंडे, अजमेर के गिलास और ढक्कनदार जग की काफी माँग बढ़ रही है।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश