Posted on 04 Jan, 2017 6:48 pm

भोपाल : बुधवार, जनवरी 4, 2017, 17:58 IST
 

नेशनल आयरन प्लस इनीशियेटिव (निपि), स्वास्थ्य विभाग, एकीकृत महिला बाल विकास विभाग तथा स्कूल शिक्षा विभाग अब संयुक्त रूप से महिलाओं तथा बच्चों में कुपोषण रोकने के संयुक्त रूप से भागीदारी करेंगे । यह निर्णय गत दिवस संभागायुक्त कार्यालय के सभागार में सम्पन्न कार्यशाला में लिया गया । यह तीनों विभाग ऐसे हैं जिनका मैदानी अमला काफी बड़ा है तथा इसकी पहुंच सीधे ग्रामजनों तक है । वे ग्रामीणजनों के सामाजिक रीति-रिवाजों को जानते हैं तथा उसके अनुसार ग्रामवासियों को सलाह दे सकते हैं ।

 

कार्यशाला में स्वास्थ्य विभाग, एकीकृत महिला और बाल विकास विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी उपस्थित थे । सभी विभागों द्वारा अलग अलग अभियान चलाये जा रहे हैं, यह पहला प्रयास है, जब इन विभागों द्वारा कुपोषण मिटाने की संयुक्त पहल की गई है । 

कार्यशाला में भाग लेने प्रतिभागियों की आम राय थी कि कुपोषण मिटाने के लिये एकीकृत रणनीति अपनाना अब बेहद जरूरी है । केवल आयरनयुक्त गोलियां या अन्य लौह तत्वयुक्त पदार्थों को बांटकर अपने दायित्वों का निर्वाह पूरा करना जरूरी नहीं बल्कि यह भी तय करना जरूरी है कि जिन गर्भवती माताओं, किशोरियों तथा बच्चों को लौह तत्वयुक्त गोलियां दी गई हैं, वे उनका उपयोग करें । साथ ही उनको सही तरीके से गोली/ सीरप लेने के तरीकों की जानकारी भी दी जाये । कईं दवाएं खाली पेट, दूध या अन्य ऐसी ही खाद्य सामग्री के साथ लेने पर विपरीत प्रभाव देती हैं । इसकी जानकारी स्कूल के अध्यापकों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं व स्वास्थ्य कर्मियों को होनी चाहिए । इसलिये जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को यह जानकारी देना जरूरी है ।  

 कार्यशाला में अत्यन्त रोचक जानकारियां भी सामने आई । भोपाल जिले की किशोरी बालिकाओं, धात्री माताओं का ही हीमोग्लोबिन अनुपात राजगढ़ जैसे जिले की तुलना में काफी कम पाया गया । शोध में ज्ञात हुआ कि राजगढ़ जिले में रहने वाली महिलाएं परंपरागत भोजन का उपयोग करती हैं, जबकि भोपाल में फास्टफूड कल्चर के चलते किशोरियों और महिलाओं में रक्ताल्पता शिकायत अधिक थी । महिला और बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने बताया कि किशोरी बच्चियों विशेष तौर से 18 से 35 साल आयु वर्ग की महिलाओं में रक्ताल्पता रोकने के लिये विशेष प्रयास किये जा रहे हैं । आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से महिलाओं को यह समझाने की कोशिश की जा रही है कि उपलब्ध स्थानीय संसाधनों से भी रक्ताल्पता कम की जा सकती है । बताया गया कि गुड़ और मूंगफली जैसे सहज उपलब्ध साधनों से भी रक्त में लौह तत्व की कमी से छुटकारा पाया जा सकता है । कार्यशाला में तय किया गया कि महिला बाल विकास विभाग, शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग यदि समन्वित प्रयास करें तो बड़ी सीमा तक महिलाओं में लौह तत्व की कमी के कारण होने वाली बीमारियों पर काबू पाया जा सकता है ।

 लोगों में जागरूकता लाने के लिये यह कार्यशालायें भोपाल और होशंगाबाद संभागों के जिलों में भी होंगी । कुपोषण के खिलाफ स्वास्थ्य और एकीकृत बाल विकास विभाग द्वारा कार्रवाई चल रही है । अब शिक्षा विभाग को भी इससे जोड़ा गया है । अभियान का मुख्य उद्धेश्य पांच वर्ष तक के बच्चों, किशोरवय बालक- बालिकाओं और महिलाओं खासकर गर्भवती महिलाओं के खून में लौहतत्व की कमी को जांचना तथा भोजनशैली में बदलाव व दवाओं के माध्यम से उसे दूर करना है । इसके लिये ग्रामस्तर तक कार्रवाई की जायेगी ।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश