Posted on 24 Apr, 2018 1:09 pm

 

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण महासमुंद के अध्यक्ष तथा जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्रीमती सुषमा सावंत के मार्गदर्शन में जिला न्यायालय महासमुंद एवं तहसील पिथौरा, बसना, सरायपाली स्थित व्यवहार न्यायालयों में कुल 11 खण्डपीठों का गठन कर नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव सुश्री राजेश्वरी सूर्यवंशी ने बताया कि अकेले जिला न्यायालय महासमुंद मे सात खण्ड पीठ का गठन किया गया था। नेशनल लोक अदालत की सभी खण्डपीठों मे श्रमिक विवाद, बैंक रिकवरी प्रकरण, विद्युत एवं के देयकों के अवशेष बकाया की वसूली और राजीनामा योग्य अन्य मामले के बकाया की वसूली संबंधी प्री-लिटिगेशन मामले सुनवाई हेतु रखे गए। उल्लेखनीय है कि 22 अप्रैल 2018 को पूरे देश भर मे माननीय उच्चतम न्यायालय से लेकर तहसील स्तर तक के न्यायालयों मे एक साथ नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया था जिसके सफल आयोजन हेतु विगत एक माह से अनवरत तैयारी की जा रही थी और पक्षकारों को नियत सुनवाई दिनांक के पूर्व राजीनामा हेतु नोटिस प्रेषित कर प्री-सिटिंग कर राजीनामा करने हेतु प्रोत्साहित किया गया था।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव ने बताया कि उक्त मामलों के अलावा राजीनामा योग्य दांडिक प्रकरण, परक्राम्य लिखत अधिनियम की धारा-138 के अधीन परिवाद पर संस्थित मामले, मोटर दुर्घटना दावा संबंधी मामले तथा विद्युत अधिनियम 2003 की धारा-135 (क) के तहत विद्युत चोरी के मामले भी नियत किये गए थे। इन खण्डपीठों मे सभी मामलों की सुनवाई करते हुए जिला महासमुंद स्थित विभिन्न न्यायालयों मे कुल 4764 प्री-लिटिगेशन प्रकरण सुनवाई हेतु रखे गए, जिनमे से 27 प्रकरणों का विधिवत निराकरण करते हुए कुल 11 लाख 27 हजार 70 रूपए की राशि राजीनामा के आधार पर वसूल किया गया। इसी प्रकार न्यायालयों मे लंबित व्यवहार प्रकरण, दांडिक मामले, मोटर दुर्घटना दावा इत्यादि के कुल 1377 मामलों मे सुनवाई पश्चात् सुलह एवं समझौता के आधार पर 86 मामलों का निराकरण किया गया और इसके माध्यम से एक करोड़ 17 लाख 22 हजार 472 रूपए की राशि राजीनामा के आधार पर वसूल की गई। इस तरह कुल 113 मामलों का निराकरण कर एक करोड़ 12 लाख 39 हजार 542 रूपए राशि की वसूली लोक अदालत के माध्यम से की गई।
    ध्यातव्य है कि इस लोक अदालत में परिवार न्यायालय महासमुंद में दो परिवारों के बीच आपसी सुलह समझौते के आधार पर आपस में साथ रहते हुए दाम्पत्य जीवन निर्वहन के लिए तैयार हुए और पति पत्नि एक साथ रहने के लिए न्यायालय से ही प्रस्थान किए। नेशनल लोक अदालत के सफल आयोजन में महासममुंद अधिवक्तागण एवं न्यायालय के कर्मचारियों का विशेष सहयोग मिला।  

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग छत्तीसगढ़

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