Posted on 08 Aug, 2016 8:59 pm

पिछले 5 साल में कमजोर वर्ग के साढ़े सात लाख से अधिक बच्चों को मिला प्रवेश
ऑनलाइन लॉटरी के पहले साल में पौने दो लाख बच्चों का नि:शुल्क प्रवेश 

भोपाल : सोमवार, अगस्त 8, 2016, 19:51 IST
 

मध्यप्रदेश में पिछले पाँच साल से नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम का प्रभावशील तरीके से क्रियान्वयन करवाया जा रहा है। अधिनियम के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश अग्रणी राज्यों की श्रेणी में शामिल हो चुका है। अधिनियम के नियमों को राजपत्र में प्रकाशित करने वाला मध्यप्रदेश पहला राज्य भी बना है। अधिनियम का पालन करवाते हुए वर्ष 2011-12 से वंचित और कमजोर वर्ग के बच्चों का प्रतिष्ठित प्रायवेट स्कूलों की प्रथम प्रवेशित कक्षा में नि:शुल्क प्रवेश करवाया जा रहा है। प्रायवेट स्कूल में पढ़ने वाले ऐसे बच्चों की फीस की पूर्ति राज्य सरकार द्वारा वहन की जा रही है। 2014-15 तक लगभग 360 करोड़ रूपये की फीस की प्रतिपूर्ति की जा चुकी है।

अधिनियम के लागू होने के बाद प्रदेश के प्रायवेट स्कूलों में कमजोर वर्ग के अब तक 7 लाख 58 हजार 592 बच्चों को नि:शुल्क प्रवेश दिलवाया गया है। इनमें सबसे अधिक 50-50 हजार बच्चों का भोपाल और इन्दौर के स्कूलों में प्रवेश हुआ है। इस प्रकार वर्ष 2011-12 में एक लाख 40 हजार 920, वर्ष 2012-13 में एक लाख 47 हजार 808, वर्ष 2013-14 में एक लाख 46 हजार 7, वर्ष 2014-15 में एक लाख 50 हजार 674 और वर्ष 2015-16 में एक लाख 73 हजार 183 बच्चों को प्रायवेट स्कूलों में नि:शुल्क प्रवेश मिला।

ऑनलाइन लाटरी

मध्यप्रदेश सरकार ने वंचित एवं कमजोर वर्ग के बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश दिलवाने की प्रक्रिया को कारगर एवं पारदर्शी तरीके से संपन्न करवाने के लिये इस साल से ऑनलाइन लाटरी प्रक्रिया प्रारंभ की है। प्रक्रिया में कक्षा एक/केजी/नर्सरी में प्रवेश के लिये विगत जुलाई माह में आवेदन प्राप्त किये गये। आवेदन-पत्र ऑनलाइन अथवा ऑफ लाइन प्रक्रिया में से किसी एक माध्यम से जमा करवाये गये। सभी आवेदन को आरटीई पोर्टल पर पंजीकृत किया गया, जिन्हें बाद में लाटरी प्रक्रिया में शामिल किया गया। विगत 2 अगस्त को केन्द्रीकृत सिस्टम एवं पारदर्शी तरीके से रेण्डमाइजेशन द्वारा जन-समुदाय की उपस्थिति में हुए समारोह में ऑनलाइन लाटरी के जरिये स्कूलों में सीट का आवंटन हुआ।

ऑनलाइन लाटरी द्वारा एक लाख 71 हजार 52 बच्चों का चयन किया गया। इनमें 27 हजार 493 अनुसूचित जाति, 10 हजार 505 अनुसूचित जनजाति, वनग्राम पट्टाधारी 169, विमुक्त जाति 559, अनाथ 105, विशेष आवश्यकता वाले दिव्यांग 189 तथा एक लाख 32 हजार 34 बच्चे गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवार से हैं।

लाटरी प्रक्रिया के बाद एक लाख 59 हजार 359 बच्चों को उनके आवेदन में प्रथम वरीयता के अनुसार दर्शाये गये स्कूल में प्रवेश मिला है। वहीं 6065 बच्चों को द्वितीय तथा 2804 बच्चों को तृतीय वरीयता के स्कूलों में प्रवेश मिला। प्रक्रिया में प्रदेश के 22 हजार 437 प्रायवेट स्कूल शामिल हुए। इस प्रक्रिया में भाग लेने के लिये कुल 2 लाख 31 हजार 288 आवेदन प्राप्त हुए थे।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश 

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