Posted on 31 May, 2018 5:41 pm

 

मध्यप्रदेश पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी द्वारा नवकरणीय विद्युत परियोजनाओं के बिजली निकासी एवं ट्रांसमिशन सिस्ट्म के सुदृढ़ीकरण और सिस्ट्म से अन्तरसंबद्धता के लिए व्यापक ग्रीन इनर्जी कॉरीडोर कार्य-योजना तैयार की गई है। कार्य-योजना की अनुमानित लागत 2100 करोड़ रूपए है। मध्यप्रदेश में आगामी पाँच वर्ष में 4 हजार 925 मेगावाट की नवकरणीय विद्युत परियोजनाएँ स्थापित होने वाली हैं। इनमें सोलर विद्युत परियोजना से 3105 और नान-सोलर से 1820 मेगावाट बिजली उत्पादन होने की संभावना है। परियोजना में वर्तमान में 400 के.वी. के तीन और 220 के.वी. के छ: उपकेन्द्र तथा लगभग 1838 सर्किट किलोमीटर लाइनों का निर्माण हो रहा है।

ट्रांसमिशन सिस्ट्म सुदृढ़ीकरण के कार्य दो चरणों में पूरा करने की योजना बनाई गई है। पहले चरण की लागत 2100 और दूसरे चरण की लागत 1475 करोड़ रूपए अनुमानित है। पहले चरण को आगामी तीन वर्ष में पूरा किया जाएगा। पहले चरण में संबद्ध नवकरणीय विद्युत परियोजनाओं की क्षमता लगभग 4100 मेगावाट हो जाएगी। पहला चरण योजना वर्ष 2019-20 तक पूरा होने की संभावना है।

पहले चरण में 400 केवी के तीन सब स्टेशन मंदसौर, सागर और उज्जैन में बनाए जायेंगे और 400 केवी की 690 सर्किट किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइनों का नेटवर्क तैयार किया जाएगा। कार्य-योजना में 220 केवी के सात सब स्टेशन सेंधवा, जावरा, गुड़गांव, कानवन, रतनगढ़, नलखेड़ा और सैलाना में बनाए जाएंगे। इसी तरह, 220 केवी की एक हजार 196 सर्किट किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइन का नया नेटवर्क तैयार किया जाएगा। साथ ही, 132 केवी की 956 सर्किट किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइनों के नए नेटवर्क के साथ 132 केवी का एक अतिरिक्त ट्रांसफार्मर भी स्थापित किया जायगा।

जर्मनी का केएफडब्ल्यू डेव्लपमेंट बैंक पहले चरण के लिए परियोजना की अनुमानित लागत का 40 प्रतिशत अंश 840 करोड़ रूपए (124 मिलियन यूरो) सॉफ्ट लोन के रूप में देगा। कंपनी को राष्ट्रीय स्वच्छ ऊर्जा निधि (एनसीईएफ-नेशनल क्लीन इनर्जी फंड) से 40 प्रतिशत अंश के रूप में 840 करोड़ रूपए का अनुदान प्राप्त होगा। पहले चरण के लिए मध्यप्रदेश शासन द्वारा 20 प्रतिशत अंश के रूप में 420 करोड़ रूपए की राशि मिलेगी।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश