Posted on 28 Mar, 2018 6:16 pm

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज नई दिल्ली में केन्द्रीय मंत्री श्री राधा मोहन सिंह से मुलाकात कर प्रदेश में बम्पर उत्पादन से उत्पन्न हुई स्थिति से अवगत कराया। इस अवसर पर केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर तथा सामाजिक न्याय मंत्री श्री थावरचंद गेहलोत भी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में दलहन के उत्पादन को बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास किये गये थे। इसके फलस्वरूप प्रदेश में दलहन का बम्पर उत्पादन हुआ है। बम्पर उत्पादन के कारण कृषि उत्पादों की कीमतों में भारी गिरावट आई है जिससे किसानों को उनकी फसल का वाजिब दाम नहीं मिल पा रहा है। राज्य शासन ने इस समस्या से निपटने के लिए भावांतर भुगतान योजना शुरू की है। योजना के माध्यम से किसानों को बाजार भाव और समर्थन मूल्य का अंतर उनके खातों में शासन द्वारा सीधे जमा कर दिया जाता है। श्री चौहान ने बताया कि इस योजना के तहत राज्य सरकार ने अभी तक 1700 करोड़ रूपये खर्च किये हैं। अभी तक केन्द्र सरकार द्वारा इस योजना का केन्द्रांश (50 प्रतिशत) नहीं मिल पाया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने हाल ही में चना, मसूर और सरसों को मूल्य समर्थन नीति के तहत न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लिये जाने का निर्णय लिया है जिससे कि किसानों को उनके उत्पाद का सही दाम मिल सके। 

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने केन्द्रीय कृषि मंत्री से आग्रह किया कि चना, मसूर एवं सरसों का उर्पाजन न्यूनतम समर्थन मूल्य पर आगामी 10 अप्रैल से 31 मई तक नैफेड द्वारा किया जाये। साथ ही नैफेड की साख सीमा (क्रेडिट लिमिट) 19 हजार करोड़ से बढ़ाई जाये।  श्री चौहान ने प्रदेश की 257 कृषि उपज मंडियों के लिए केन्द्र सरकार द्वारा सर्वेयर नियुक्त करने का भी आग्रह किया। बम्पर उत्पादन को देखते हुए श्री चौहान ने कृषि मंत्री से प्रति कृषक एक दिन में विक्रय करने की सीमा 25 क्विंटल को समाप्त करने की भी मांग की। साथ ही उपार्जित मात्रा की 90 प्रतिशत राशि को तत्काल भुगतान करने का आग्रह किया। श्री चौहान ने उपार्जित चना, मसूर और सरसों के भंडारण के लिए 30 किलोमीटर की तय सीमा को बढ़ाकर 80 किलोमीटर की सीमा में वेयर हाउसिंग के गोदामों में भंडारण करने की अनुमति देने का आग्रह किया। 

श्री चौहान ने मध्यप्रदेश के धान को बासमती जी.आई.टैग न दिये जाने का भी विरोध जताया। उपस्थित केन्द्रीय मंत्री द्वय श्री नरेन्द्र तोमर और श्री थावर चंद गहलौत ने भी श्री चौहान का समर्थन करते हुए अपना विरोध दर्ज किया और कहा कि मध्यप्रदेश के 13 जिलों में उत्पादित चावल पिछले 108 वर्षों से बासमती के नाम से जाना जाता है। पूरे विश्व में इसकी पहचान है तथा आई.सी.ए.आर. को इस संबंध में पूरी रिपोर्ट दी जा चुकी है जिसमें राज्य की ओर से ऐतिहासिक तथ्यात्मक और तकनीकी बिन्दुओं के माध्यम से स्पष्ट किया गया है कि मध्यप्रदेश के इन 13 जिलों में पैदा किया हुआ चावल बासमती ही है। 

मुख्यमंत्री श्री चौहान  और केन्द्रीय मंत्री द्वय ने कृषि मंत्री श्री राधामोहन सिंह से आग्रह किया कि इस संबंध में वे शीघा्रतिशीघ्र निर्णय लें और मध्यप्रदेश के किसानों के साथ न्याय करें।   

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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