Posted on 24 May, 2017 5:41 pm

भोपाल : बुधवार, मई 24, 2017, 17:24 IST
 

मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास मंत्री श्री अंतर सिंह आर्य ने आज भोपाल के निकट हलाली डेम में मछली-पालन का आकस्मिक निरीक्षण किया। श्री आर्य ने मौके पर ठेकेदार द्वारा टीकमगढ़ से मंगवाकर डलवायी जा रही मरणासन्न मत्स्य बीज पर गहरी अप्रसन्नता जाहिर की। श्री आर्य ने इतनी गर्मी के मौसम में बिना पूरी सुरक्षा के मत्स्य बीज लाने, रजिस्टर में गड़बड़ी पाये जाने, स्थानीय समितियों को मत्स्याखेट में हो रही परेशानी और अपने कार्यों में लापरवाही बरतने पर प्रबंधक श्री विकास श्रीवास्तव को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के निर्देश दिये।

रंगे हाथों पकड़ा

श्री आर्य ने डेम में लगभग 350 किलोमीटर दूर टीकमगढ़ से लाये गये मरणासन्न मत्स्य बीज को तालाब में डालते रंगे हाथों पकड़ा। लगभग सवा क्विंटल बीज पॉलीथिन में भरे पानी में लोडिंग ऑटो द्वारा लाया गया था। श्री आर्य ने इतनी गर्मी में मत्स्य बीज के परिवहन के लिये विक्रेता को फटकार लगायी।

नियम विरुद्ध हो रहा था मत्स्याखेट

श्री आर्य ने कम वजन की सिंघाड़ा, रोहू, कतला मछली के आखेट पर भी गहरी अप्रसन्नता जाहिर की। श्री आर्य ने कहा कि मछली का अपने पूर्ण आकार में पहुँचने के पहले ही शिकार करना नियम विरुद्ध है। श्री सिंह ने मछली को तुलवाया, जिसका वजन मात्र 50 ग्राम निकला।

पहली बार किसी मंत्री ने किया निरीक्षण

श्री आर्य ने समिति सदस्यों से भी बात की। समिति अध्यक्ष श्री कालूराम ने कहा कि उन्होंने 62 साल की उम्र में पहली बार किसी मंत्री को यहाँ औचक निरीक्षण करते देखा है। सदस्यों ने शिकायत की कि कई बार उन्हें आखेट नहीं करने दिया जाता, जिससे उन्हें भोपाल मजदूरी करने जाना पड़ता है। यहाँ से ट्रक में सुखान मछली भी अवैध रूप से दूसरे राज्यों में भेजी जाती है। डेम पर 12 समितियाँ गठित हैं।

नहीं होगा कैटफिश पालन

श्री आर्य ने डेम में केट फिश (तलबिया बिरान) के पालन पर भी अप्रसन्नता प्रकट की। श्री आर्य ने कहा कि यह मछली दूसरी मछलियों को खाकर जैव-विविधता समाप्त करती है। उन्होंने इसे तत्काल बंद करने का निर्देश दिया। मछुआरों ने बताया कि ठेकेदार यह इसलिये पालता है कि यह साल में तीन बार अंडे देती है, जिससे अधिक आमदनी होती है। मछुओं ने शिकायत की कि इस मछली पर उभरे आरीनुमा शल्क से उनके जाल भी कट जाते हैं।

सीजन पर निकलती है 40 क्विंटल मछली

मछुआरों ने बताया कि अभी तो तालाब से रोज 3-4 क्विंटल मछली निकल रही है, लेकिन सीजन पर 40 क्विंटल प्रतिदिन निकलती है।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश