Posted on 26 Feb, 2018 2:53 pm

 

नरसिंहपुर जिले की मछुआ सहकारी समिति सांईखेड़ा के सदस्यों को मछली पालन और सिंघाड़े की खेती से हर साल करीब 10 लाख रूपये की शुद्ध आमदनी हो रही है। मछली पालन विभाग की ग्रामीण तालाबों में मत्स्य पालन की योजना में समिति के 25 सदस्यों को मछली पालन के लिए 6.77 हेक्टर जल क्षेत्र का 10 वर्षीय पट्टा वर्ष 2012-13 में दिया गया था। इन सदस्यों ने मछली पालन विभाग की नाव जल क्रय योजना में चार-चार हजार रूपये के अनुदान और मत्स्य आहार पर 90 प्रतिशत अनुदान का लाभ लेकर मछली पालन शुरू किया।

मछुआ सहकारी समिति के सदस्यों ने मछली पालन विभाग के तकनीकी मार्गदर्शन में मिश्रित कार्प कतला, रोहू, मृगल प्रजाति के मत्स्य बीज का संचयन प्रति हेक्टर 10 से 15 हजार फ्रिंग लिंग की दर से पहले वर्ष से ही शुरू किया। इससे प्रति हेक्टर प्रति वर्ष 1.6 टन तक मछली का उत्पादन होने लगा। इससे समिति सदस्यों को प्रति वर्ष प्रति हेक्टर डेढ़ लाख रूपये तक की आमदनी होने लगी। पट्टे पर दिये गये तालाब से हर साल 8 लाख रूपये का लाभ समिति सदस्यों को मछली पालन से मिलने लगा।

समिति सदस्यों ने सिंघाड़ा की खेती भी शुरू कर दी। इससे 50 क्विंटल तक सिंघाड़ा का उत्पादन होने लगा। सिंघाड़ा उत्पादन से प्रति वर्ष 2 लाख रूपये तक की अतिरिक्त आमदनी अब हो रही है। इस तरह मछली पालन और सिंघाड़े की खेती से धीरे- धीरे आमदनी बढ़ते हुए प्रति वर्ष 10 लाख रूपये तक पहुंच गई।

समिति अध्यक्ष देवराज कहार बताते हैं कि मछली पालन के लिए तालाब पट्टे पर देने की मध्यप्रदेश सरकार की यह बहुत अच्छी योजना है। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश सरकार द्वारा मछुआ आवास के लिए प्रति सदस्य 50 हजार रूपये की आर्थिक सहायता भी वर्ष 2015-16 में दी गई। समिति के प्रत्येक सदस्य को मछुआ क्रेडिट कार्ड योजना में मत्स्य पालन व्यवसाय के लिए 10 हजार रूपये भी जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक की सांईखेड़ा शाखा द्वारा उपलब्ध कराये जा रहे हैं। आत्मा परियोजना के तहत उत्कृष्ट कार्य के लिए मछुआ सहकारी समिति सांईखेड़ा को 10 हजार रूपये का पुरस्कार भी प्राप्त हो चुका है।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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