Posted on 27 Jun, 2018 7:29 pm

 

भोपाल के 8 वर्षीय नादिर और देवास की डेढ़ साल की वंश का इंदौर के एम.वाय. अस्पताल में सफलतापूर्वक बोनमेरो ट्रांसप्लांट हो गया है। यह दोनों बच्चे 23 जून को अपने घरों पर भी जा चुके हैं। इस प्रकार इंदौर में चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा संचालित एम.वाय. अस्पताल शासकीय क्षेत्र में स्थापित देश का पहला चिकित्सालय है। यह केन्द्र थेलेसीमिया से पीड़ित बच्चों के लिये वरदान सिद्ध हो रहा है। बोनमेरो ट्रांसप्लांट की कार्रवाई कोलबिया विश्व विद्यालय अमेरिका के चिकित्सक डॉ. प्रकाश सतवानी की निगरानी में की गई थी।

डॉ. सतवानी ने बताया कि इंदौर चिकित्सा शिक्षा महाविद्यालय के एम.वाय. अस्पताल में इस यूनिट की शुरूआत 20 जनवरी 2018 को मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा की गई है। इस यूनिट पर 5 करोड़ रुपये खर्च आया है।  डॉ. सतवानी ने बताया कि बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए 70 दिन पहले एम.वाय. अस्पताल में भर्ती हुए दो थेलेसीमिया पीड़ित बच्चों का बोन मैरो ट्रांसप्लांट कर 23 जून को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। इन बच्चों को पूरी तरह ठीक होने में आठ से नौ माह लगेंगे। इसके बाद ब्लड चढ़वाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ट्रांसप्लांट के लिए 28 बच्चों को चिन्हित किया गया हैं। इन बच्चों के बाद दो और बच्चों में ट्रांसप्लांट की तैयारी शुरू कर दी हैं।

डॉ. सतवानी ने बताया कि बोन मैरो ट्रांसप्लांट में ट्रांसप्लांट यूनिट को संक्रमणमुक्त रखना बड़ी चुनौती है। इस प्रक्रिया में बच्चों के साथ ही डॉक्टर और नर्स को भी 70 दिन तक उबला पानी दिया गया। भोजन सहित सभी समान को अल्ट्रावायलेट किरणों से गुजारा गया, ताकि जीवाणु या कीटाणु नष्ट हो जाएं। हर कक्ष में छत पर लगे फिल्टर से हर घंटे में हवा को सात बार फिल्टर किया गया। डॉ. सतवानी ने अमेरिका से ऑपरेशन की मॉनिटरिंग की ।

अगले चरण में अन्य बीमारियों का भी इलाज

डॉ. सतवानी ने बताया अगले चरण में ए-प्लास्टिक एनीमिया, मेटाबॉलिक डिसऑर्डर, इम्युनो डेफिशिएंसी, कैंसर आदि बीमारियों के बच्चों का भी बोन मैरो ट्रांसप्लांट कर सकेगें। डॉ. सतवानी ने डॉ. प्राची चौधरी, डॉ. प्रीति मालपानी, डीन डॉ. शरद थोरा के प्रयासों की सराहना की।

नदिरा को बहन ने दिया बोनमेरो

भोपाल के आठ वर्षीय नादिर खान को 7 अप्रैल, 2018 को भर्ती किया था। उसे 14 साल की बहन इब्तेसम ने बोन मैरो दिया। पिता नासिर शिक्षक हैं। वे बताते हैं- बेटा साढ़े तीन साल का था, तब उन्हें बीमारी का पता चला। हर 15 दिन में ब्लड चढ़वाना पड़ता था। माँ इफ्फत ने बताया लंबे समय रूकने के लिए खजराना में किराए से मकान लिया। अभी दो महीने और यहीं रूकना होगा, ताकि चेकअप के लिए आते रहें।

वंश पूरी तरह ठीक, 5 हजार पहुंचा ब्लड काउंट

देवास निवासी डेढ़ साल के वंश चौधरी को गत 23 जून 2018 को डिस्चार्ज किया गया। वह पूरी तरह ठीक हैं। ब्लड काउंट 5 हजार तक पहुंच गया हैं। वंश को तीन साल की बहन वंशिका ने बोन मैरो दिया हैं। भाई को स्वस्थ देख वह काफी खुश हैं। इसे कहते हैं- हिम्मत मर्द, मददे खुदा।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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