Posted on 26 Sep, 2018 1:50 pm

 

महिला बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने गत दिवस वात्सल्य भवन में आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि बच्चों के हित को परिवार और समाज में सर्वोच्च माना गया है, परन्तु उनकी परवरिश के तौर-तरीके और जानकारियों का नई पीढ़ी में अभाव है। इससे बच्चों का पालन-पोषण प्रभावित हो रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य शासन अभिभावक कौशल तथा पालन-पोषण पर सही जानकारियाँ उपलब्ध करवाने के लिए कोर्स आरंभ करेगा। यह कोर्स विद्यार्थियों, अभिभावकों, परिवारों, सामाजिक समूहों तथा अन्य संगठनों के लिए होगा। श्रीमती चिटनिस ने इस संबंध में जन-सामान्य से सुझाव आमंत्रित किए हैं। इच्छुक व्यक्ति अभिभावक कौशल और पालन पोषण पर अपने सुझाव www.mpwcdmis.gov.inपर दे सकते हैं।

कार्यशाला में पालन-पोषण में परिवार, शाला तथा शिक्षक की भूमिका पर विस्तार से चर्चा हुई। परिवार के सदस्यों द्वारा बच्चों के साथ बिताये गये समय और उनके साथ विचारों के संप्रेषण को सर्वाधिक महत्वपूर्ण बताते हुए विषय-विशेषज्ञों ने कहा कि बच्चों के संतुलित, सकारात्मक और स्वस्थ विकास के लिए आवश्यक है कि परिवार भोजन, भ्रमण और भजन एक साथ करें। कार्यशाला में लालन-पालन को कौशल के रूप में मान्य करने, यह कौशल आज की पीढ़ी को सुव्यवस्थित ढ़ंग से प्रदान करने और विशेषज्ञों की मदद से प्रशिक्षण मॉडयूल विकसित करने के लिए कार्यक्रम निर्धारित किया गया।

प्रमुख सचिव महिला बाल विकास श्री जे.एन. कंसोटिया, आयुक्त महिला बाल विकास डॉ. अशोक कुमार भार्गव सहित मनोवैज्ञानिकों, समाजशास्त्रियों, पोषण विषेशज्ञों सहित स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा, महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों और स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भी कार्यशाला में अपने विचार रखे।इस विषय पर अगली कार्यशाला एक अक्टूबर को होगी।

कार्यशाला में बताया गया कि पेरेंटिंग पर विकसित की जाने वाली सामग्री हिन्दी तथा अंग्रेजी दोनों भाषा में विकसित की जाएगी और यह पब्लिक डोमेन में सभी के लिए उपलब्ध होगी। विकसित पाठ्यक्रम को आगनवाड़ियों सहित महिला बाल विभाग के समस्त अमले, शालाओं के प्रशिक्षण में सम्मिलित किया जायेगा। पेरेंटिंग को एक कौशल के रूप में स्वीकार करने के लिए स्किल डेवलपमेंट कॉउसिंल को भी लिखा जायेगा।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश​

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