Posted on 28 May, 2019 3:50 pm

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री श्री सुखदेव पांसे ने कहा है कि पृथ्वी पर जीवन को कायम रखने के लिये जल स्त्रोतों को अक्षुण्य बनाये रखने की जरूरत है। भूमिगत जल भंडारों की स्थिति निर्धारित करने और भू-जल भंडार बढ़ाने के लिये नए-नए तरीकों का इस्तेमाल किया जाना चाहिये। श्री पांसे प्रशासन अकादमी में 'पेयजल स्त्रोतों के स्थायित्व' विषय पर आयोजित कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे। मुख्य वन संरक्षक श्री आर.एस. मूर्ति ने उदघाटन सत्र के विशिष्ट अतिथि थे।

मंत्री श्री पांसे ने बताया कि पानी जीवन की अनिवार्य आवश्यकता है, या यूं कहें कि अनिवार्य शर्त है। उन्होंने कहा कि पानी निकालना तो वदस्तूर जारी है परन्तु भूमि में पानी डालने की न तो चिंता की जा रही है और न ही प्रयास करते हैं। आज हम ऐसी खतरनाक स्थिति में पहुंच गये हैं कि कभी समाप्त न होने से लगने वाले भू-जल के भण्डार सूखने लगे हैं। जल स्तर 60-70 फिट के बजाय 60-70 मीटर नीचे तक पहुंच गया है। सिंगल फेस मोटरों में तो पाइप सामान्य रूप से ही 120 से 140 मीटर डालना पड़ रहा है। स्त्रोत असफल होने के कारण कुछ योजनाओं में हर साल स्त्रोत विकसित करने के लिये ट्यूबबेल खोदने पड़ रहे हैं।

प्रमुख सचिव श्री संजय शुक्ला ने बताया कि पीएचई, पीरामल फाउंडेशन और अन्य भागीदारों के साथ प्रदेश के 7 आकांक्षात्मक जिलों में स्वजल योजनाओं को लागू करने के लिये कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पेयजल की चुनौतियों का सामना करने के लिये स्थिरता पूर्ण संरचनाओं को संस्थागत बनाये जाने की आवश्यकता है।

कार्यशाला में पीरामल फाउंडेशन के सीईओ श्री अनुज शर्मा, पीएचई विभाग के प्रमुख अभियंता के.के. सोनगरिया, सीएस शंकुले, म.प्र. जल निगम के परियोजना निदेशक श्री एन. पी. मालवीय ने भी जल संसाधनों को कायम रखने के लिये उपयोगी सुझाव दिये।

श्री पांसे ने देखा एटीएम वाटर सिस्टम

मंत्री श्री पांसे ने पीरामल फाउंडेशन द्वारा तैयार किये गये एटीएम वाटर सिस्टम का अवलोकन किया। श्री आलोक झा ने श्री पांसे को पुस्तक 'द वाटर बुक' भेंट की।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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