Posted on 12 Oct, 2017 5:01 pm

 

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि सरकार ने किसानों के लिए महाबोनस की व्यवस्था भावांतर भुगतान योजना द्वारा की है। इसका लाभ लेने के लिए पंजीयन करवाना अनिवार्य है। किसान भाई पंजीयन करवाने में चूके नहीं, अन्यथा योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा। श्री चौहान आज प्रदेश की समस्त ग्राम सभाओं को लाइव संबोधित कर रहे थे। उन्होंने किसानों से भावांतर भुगतान योजना, उसकी प्रक्रियाओं और प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करते हुये बताया कि मक्का उत्पादक किसानों की समस्याओं का समाधान करवाया जाएगा। जले ट्रांसफार्मर को बदलवाने के लिए उपभोक्ताओं की संख्या 75 से घटाकर 50 प्रतिशत कर दी गई है। साथ ही जमा की जाने वाली बकाया राशि भी 40 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत कर दी गई है। दीवाली के बाद कपास उत्पादक जिलों में 16 खरीदी केन्द्र शुरू हो जाएंगे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने किसानों द्वारा योजना में कम पंजीयन करवाने पर चिंता व्यक्त करते हुये अपील की कि वे अंतिम तिथि से पूर्व पंजीयन जरूर करवायें। प्रदेश सरकार आम आदमी और गरीब किसान की सरकार है, जो संकट के समय हमेशा किसानों के साथ रही है। खेती को लाभकारी बनाने के लिए हर उपाय करती है। उन्होंने कहा कि बंपर उत्पादन के कारण फसलों के बाजार मूल्य में गिरावट हो गई थी। सरकार ने भंडारण आदि की दिक्कतों के बावजूद 8 रूपए प्रति किलो की दर से प्याज की खरीदी कर, किसानों का नुकसान नहीं होने दिया। मूंग, तुअर आदि की बाजार मूल्य से करीब डेढ़ हजार रूपए अधिक पर खरीदी की। श्री चौहान ने कहा कि किसान की फसल कम मूल्य पर नहीं बिकने देने की प्रतिबद्धता का सरकार ने पालन किया था जिस पर एक हजार करोड़ रूपये से अधिक राशि का व्यय किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार किसानों की मदद के लिए पैसों की चिंता नहीं करती है। किसान को फसल का उचित मूल्य मिले, इसके लिये राज्य सरकार कटिबद्ध है।

श्री चौहान ने बताया कि फसलों के उचित दाम किसानों को मिलें, इसकी गारंटी के लिए भावांतर योजना लागू की है। योजना का लाभ उन्हीं किसानों को मिलेगा जो 15 अक्टूबर तक योजना के पोर्टल पर पंजीयन करवा लेंगे। उन्होंने बताया कि ग्राम सभा में पंजीयन का कार्य किया जा रहा है। साथ ही गेहूँ, धान का ई-उपार्जन करने वाली 3500 प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों और 257 कृषि उपज मंडियों में भी नि:शुल्क पंजीयन सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। पंजीयन करवाने वाले किसानों को उनके मोबाइल पर शार्ट मैसेज सर्विस (एस.एम.एस) के द्वारा सूचना दी जाएगी। हर किसान को यूनिक आई डी नम्बर दिया जाएगा जिसे कृषि उपज मंडी में विक्रय करते समय किसानों को देना होगा। तभी उन्हें भावांतर योजना का लाभ मिलेगा। पंजीयन के समय राजस्व अभिलेख, आधार कार्ड, समग्र आई.डी. और बैंक खाता क्रमांक की जानकारी भी देना होगी। किसान द्वारा फसल बोनी का राजस्व विभाग द्वारा सत्यापन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रत्येक जिले के फसलवार पाँच वर्षों में सर्वश्रेष्ठ तीन वर्षों की फसल कटाई प्रयोगों के परिणामों के आधार पर उत्पादकता की गणना की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने भावांतर भुगतान योजना में फसल के मूल्य निर्धारण की प्रक्रिया की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आठ फसलों में से किसी फसल का मंडी में निर्धारित अवधि के दौरान विक्रय न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम और मॉडल विक्रय दर से अधिक पर होता है, तो विक्रय की दर तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य के बीच के अंतर की राशि किसान के खाते में जमा की जाएगी। इसी तरह यदि निर्धारित फसलों में से कोई फसल मॉडल विक्रय मूल्य से कम में विक्रय की जाती है, तो न्यूनतम समर्थन मूल्य और मॉडल विक्रय मूल्य के भावांतर की राशि सीधे किसान के बैंक खाते में जमा की जाएगी जिसकी सूचना मोबाईल पर भी दी जाएगी। किसान फसल की बिक्री मंडियों में व्यापारी को करेंगे। व्यापारी उन्हें तत्काल राशि देगा। भावांतर की राशि दो माह की अवधि में उनके बैंक खातों में जमा हो जाएगी।

श्री चौहान ने बताया कि 16 अक्टूबर से 15 दिसम्बर 2017 के मध्य 7 फसलों सोयाबीन, मूंगफली, तिल, रामतिल, मक्का, मूंग, उड़द और 1 फरवरी से 30 अप्रैल 2018 तक अरहर (तुअर) का विक्रय करते समय यूनिक आई.डी. देना होगी। मंडी में क्रय-विक्रय, खरीदी के समय अनुबंध पत्र, तौल पर्ची, भुगतान पत्रक मंडी कर्मचारियों द्वारा तैयार किया जाएगा। उन्होंने किसानों से अपील की कि योजना में पंजीयन का अवसर गवांए नहीं। ग्राम सभा में ही पंजीयन का कार्य करवा लें। योजना का सबको लाभ मिलेगा, व्यवस्था में सहयोग करें। स्वयं का और अपने आस-पास के किसानों का पंजीयन करवाने में सहयोग करें।

मुख्यमंत्री ने ग्राम सभा में उपस्थित ग्रामीणों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ दी। उन्होंने कहा कि आपके जीवन में सुख-समृद्धि के लिये आपकी सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। खेती को लाभकारी बनाने का लक्ष्य है। इसकी सफलता के लिए सबको मिलकर काम करना होगा।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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