Posted on 10 Aug, 2016 7:08 pm

 
भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम,1956 में सुधार पर बनी समिति की प्रारंभिक रिपोर्ट 
 

     भारतीय चिकित्सा परिषद(एमसीआई) के कामकाज की व्यापक आलोचना को देखते हुए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की संसद की स्थाई समिति ने अपनी 92वीं रिपोर्ट 8 मार्च, 2016 को राज्य सभा में पेश की। भारत सरकार ने 28 मार्च, 2016 को नीति आयोग के उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया।  इस समिति में प्रधानमंत्री के अपर प्रधान सचिव , नीति आयोग के सीईओ तथा स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव को सदस्य के रूप में शामिल किया गया। समिति से भारतीय चिकित्सा परिषद में सुधार के लिए सभी विकल्पों की जांच-परख करने तथा आगे का सुझाव देने को कहा गया ।

   समिति ने पहले चरण का काम पूरा कर लिया है। आज समिति ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट को नीति आयोग की वेबसाइट (http://niti.gov.in/) पर प्रस्तुत किया।  हितधारकों को टिप्पणी और सुझाव देने के लिए आमंत्रित किया जाता है।  टिप्पणी और सुझाव dirhealth-niti@nic.in  पर भेजे जा सकते हैं।

  प्रारंभिक रिपोर्ट में भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 को बदलने वाले विधेयक का प्रारूप भी शामिल है।  प्रस्तावित विधेयक की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैः

1.      व्यापकता संपन्न खोज और चयन समिति द्वारा स्वतंत्र और पारदर्शी चयन से पेशेवर सत्यनिष्ठा वाले और उतकृष्टता संपन्न उच्च मानक संपन्न नियामकों की नियुक्ति।

2. विनियमन के लिए एक नई संस्थागत व्यवस्था का सुझाव दिया गया है जिसमें (i) चिकित्सा शिक्षा के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम तय करने के लिए राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधित्व वाली चिकित्सा सलाहकार परिषद(एमएसी) होगी , (ii) चिकित्सा शिक्षा के लिए नीति नियामक संस्था के रूप में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग(एनएमसी),(iii) स्नातक चिकित्सा शिक्षा, स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा . चिकित्सा मूल्यांकन एवं रेटिंग तथा पंजीकरण और आचार के लिए चार स्वशासी बोर्ड होंगे।

3. यह महसूस किया गया है कि एमसीआई की इनपुट आधारित नियामक व्यवस्था बाधक है। एनएमसी का नियमन परिणाममुखी होगा न कि इनपुट आधारित। समिति ने चिकित्सा संस्थानों की रेटिंग का समय-समय पर प्रकाशन का प्रस्ताव किया है।

 

 4.  समिति ने निजी मेडिकल कॉलेजों में सीटों के अनुपात में फीस निर्धारित करने का अधिकार एनएमसी को देने का प्रस्ताव किया है, शेष सीटों के लिए पारदर्शी तरीके से फीस निर्धारित करने का अधिकार प्रवर्तकों को देते हुए। कॉलेज की वेबसाइट पर घोषित फीस के अतिरिक्त किसी अन्य प्रकार की फीस मान्य नहीं होगी।

5. समिति ने स्नातक चिकित्सा शिक्षा, स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा में प्रवेश के लिए एक सम्मिलित प्रवेश परीक्षा आयोजित करने का प्रस्ताव किया है।  समिति ने स्नातक चिकित्सा शिक्षा  पूरा करने वालों की प्रैक्टिस के लिए लाइसेंस के लिए  सम्मिलित लाइसेंस परीक्षा का भी सुझाव दिया है ।

6. समिति ने ‘  लाभ के लिए ‘ संगठनों को मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की अनुमति देने की सिफारिश की है।

 

Courtesy – Press Information Bureau, Government of India

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