Posted on 13 Oct, 2017 12:59 pm

भोपाल : शुक्रवार, अक्टूबर 13, 2017
 

शिवपुरी जिले की ग्राम कमरौआ निवासी भागवती चंदेल का परिवार कल तक दूसरे गाँवों में जाकर मजदूरी करता था। आज भागवती का बेटा गांव में ही अपनी दुकान चलाकर प्रतिमाह 6 से 8 हजार रूपये कमा रहा है। पति सीएलएफ के पद पर काम कर रहा है और 4 हजार 200 रूपये प्रतिमाह कमा रहा है। भागवती ने गाँव में ही दो बीघा जमीन ठेके पर लेकर टमाटर की खेती करना शुरू कर दी है। आज समाज में भागवती का सम्मान है, प्रतिष्ठा है।

भागवती के जीवन में यह बदलाव स्व-सहायता समूह से जुड़ने के बाद आया है। पति के विरोध के बावजूद भागवती पास के गांव के संतोषी स्व-सहायता समूह से जुड़ी और सदस्य के रूप में 10 रुपये प्रति सप्ताह जमा करना शुरू किया। समूह से पहली बार 15 हजार रुपये का कर्ज लेकर बेटे की दुकान शुरू कराई। इसके बाद पति को सीएलएफ के पद पर लगवाया। वो अभी तक समूह से 6 लाख रुपये का ऋण ले चुकी है और ब्याज सहित लौटा भी रही है। साथ ही पांच दिवसीय ग्राम ज्योति प्रशिक्षण प्राप्त कर दूसरे गाँवों और जिलों में स्व-सहायता समूह बनाने का प्रशिक्षण दे रही है। आज तक भागवती लगभग 102 गाँवों में 420 स्व-सहायता समूह का गठन करवा चुकी है। इन समूहों के गठन से उसे मानदेय के रूप में 10 हजार से भी अधिक की राशि प्राप्त हुई है।

लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री तथा शिवपुरी जिले के प्रभारी श्री रुस्तम सिंह हाल ही में जनपद पंचायत कोलारस के भ्रमण के दौरान भागवती के अटल इरादों और मेहनत की तारीफ की और उसे महिला सशक्तिकरण का प्रत्यक्ष प्रमाण बताया। मंत्री श्री सिंह ने भागवती को 11 हजार रुपये का पुरस्कार देने की घोषणा भी की है।

 सफलता की कहानी (शिवपुरी)

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

Recent