Posted on 28 Aug, 2018 3:34 pm

 

प्रदेश में किसानों को कृषि उत्पाद को लम्बे समय तक सहेजने के लिये भण्डार-गृह बनवाने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिन किसानों ने भण्डार-गृह बनवायें हैं, उन्हें अपने कृषि उत्पाद को सही समय पर बेचने से सही दाम मिल रहे हैं।

आगर-मालवा जिले के ग्राम बापचा के किसान नारायण सिंह ने अपने खेत में 50 मीट्रिक टन क्षमता का भण्डार-गृह बनवाया है, जिसकी लागत 3 लाख 50 हजार रुपये है। नारायण सिंह को इसके लिये अनुदान के रूप में एक लाख 75 हजार रुपये की राशि राज्य सरकार की ओर से मिली है। नारायण सिंह बताते हैं कि पिछले कुछ सालों से क्षेत्र के किसान प्याज तो उगा लिया करते थे, लेकिन सब्जी मण्डी में भाव के उतार-चढ़ाव के कारण उन्हें प्याज के सही दाम नहीं मिल पाते थे।

नारायण सिंह के पास कुल 20 बीघा खेती की जमीन है। इसमें से वे लगभग 7 बीघा जमीन में प्याज की बुआई करते हैं। उन्हें एक बीघा जमीन में करीब 80 से 100 क्विंटल तक प्याज की पैदावार मिल जाती है। अब वे मण्डी में भाव के उतार-चढ़ाव को देखते हुए अपनी प्याज बेच रहे हैं। उनका कहना है कि प्याज अब उनके लिये फायदे का सौदा साबित हो रही है। भण्डार-गृह बनवाने की सलाह उन्हें उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों ने दी थी।

इंदौर जिलेकेग्राम समेलिया चाऊ के किसान रंजन सिंह ने भी अपने घर के पास प्याज भण्डार-गृह बनवाया है। उन्होंने अपने 5 हेक्टेयर के खेत में प्याज लगाई थी। उन्हें प्याज की अच्छी पैदावार मिली है। रंजन सिंह भण्डार-गृह में सुरक्षित प्याज को मण्डी में भाव के उतार-चढ़ाव को देखकर धीरे-धीरे निकाल कर बेच रहे हैं।

प्याज की फसल दो महीने में तैयार हो जाती है। पहले भण्डार-गृह नहीं होने की वजह से किसान कीमत कम मिलने की आशंका के कारण प्याज की खेती से बचते थे। भण्डार-गृह बनवाने से किसानों का विश्वास बढ़ा है। अब किसान आलू, प्याज, लहसुन, चुकंदर, धनिया आदि सब्जी की खेती भी कर रहे हैं। खेत में किसान मुख्य रूप से गोबर की खाद ही इस्तेमाल करते हैं। अब रंजन सिंह और नारायण सिंह ने अपने खेत में सिंचाई की बेहतर व्यवस्था के लिये स्प्रिंकलर सिस्टम भी लगवा लिया है।


सक्सेस स्टोरी (आगर-मालवा, इंदौर)

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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