Posted on 09 Oct, 2017 4:53 pm

 

जनजाति कार्य एवं अनुसूचित जाति कल्याण राज्य मंत्री श्री लाल सिंह आर्य ने बड़वानी, मंडला और अनूपपुर जिले में भी वन्या के सामुदायिक रेडियो स्टेशन स्थापित करने के निर्देश दिये हैं। श्री आर्य आज 'वन्या' की कार्यकारिणी समिति की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में अभी 8 रेडियो स्टेशन चल रहे हैं। इसके विस्तार के लिये स्टेशनों को बढ़ाने की आवश्यकता है। इस मौके पर प्रमुख सचिव श्री एस.एन. मिश्र और प्रबंध संचालक वन्या श्री राकेश सिंह मौजूद थे।

श्री आर्य ने कहा कि रेडियो पर आदिवासियों की हितकारी योजनाओं का प्रसारण किया जाए। प्रसारण के पूर्व कार्यक्रमों की पूर्व सूचना भी जारी की जाए। बैठक में बताया गया कि सामुदायिक रेडियो स्टेशनों से 5-5 घंटे सुबह-शाम प्रसारण किया जा रहा है। इसमें ढ़ाई घंटे स्थानीय भाषा और ढ़ाई घंटे हिन्दी भाषा में जानकारियाँ दी जा रही हैं।

राज्य मंत्री श्री आर्य ने ईपिक चेनल के लिए बने एपीसोड को प्रसारण के पूर्व समिति से अनुमोदित करवाने को कहा। उन्होंने तथ्यात्मक जानकारी के लिये विषय विशेषज्ञ को आमंत्रित कर सलाह-मशहरा करने के निर्देश दिये। श्री आर्य ने कहा कि महापुरुषों पर बनाई गई फिल्म का प्रसारण बाल संसद जैसे कार्यक्रमों में भी किया जाए। आश्रम, शालाओं और छात्रावासों में फिल्म की प्रति उपलब्ध करवाकर समय-समय पर प्रसारित की जाए।

बैठक में पिछली कार्यकारिणी समिति का पालन प्रतिवेदन, वन्या प्रकाशन के सेटअप, लेखा संबंधी सहित अन्य विषयों पर चर्चा की गई।

राज्य मंत्री श्री आर्य ने 'समझ झरोखा' पत्रिका विधायकों, सांसदों, जिला पंचायत अध्यक्षों सहित अन्य जन-प्रतिनिधियों को भी उपलब्ध कराने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि पत्रिका में खेल, सामान्य ज्ञान सहित महापुरुषों से संबंधित विषयों का समावेश भी किया जाए। उन्होंने कहा कि इसमें माह के त्यौहार, भारतीय संस्कृति और महापुरुषों के कोटेशन का उपयोग करके भी इसे और रोचक बनाया जा सकता है। श्री आर्य ने कहा कि 'समझ झरोखा' पत्रिका को ऑनलाइन भी किया जाए। इसे विभागीय वेबसाइट एवं सोशल मीडिया पर भी अपलोड करें। पत्रिका में बच्चों की रचनाओं का भी समावेश किया जाए।

राज्य मंत्री श्री आर्य ने सामुदायिक रेडियो के श्रोताओं के लिए संदेश रिकार्ड करवाया। इसके पूर्व उन्होंने रिकार्डिंग रूम का निरीक्षण कर आवश्यक जानकारियाँ प्राप्त की।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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